UPSC Cheating Case: सुप्रीम कोर्ट ने पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर 17 मार्च तक लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व IAS ट्रेनी पूजा खेडकर को 17 मार्च तक गिरफ्तारी से बड़ी राहत दी और उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया. खेडकर पर UPSC परीक्षा 2022 में धोखाधड़ी कर आरक्षण का गलत फायदा उठाने का आरोप है, जिसे लेकर हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

पूर्व ट्रेनी IAS अफसर पूजा खेडकर को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दरअसल, उनपर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी और गलत तरीके से ओबीसी और विकलांगता कोटा का लाभ उठाने का आरोप लगा हैं. शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर 17 मार्च तक रोक लगा दी और कहा कि तब तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने दी अंतरिम सुरक्षा
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और सत्य चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया. वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा, जो खेडकर की ओर से पेश हुए, उन्होंने अदालत को बताया कि पुलिस उन्हें जांच के लिए नहीं बुला रही और वह जांच में शामिल होने के लिए तैयार हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एएसजी को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
खेडकर पर धोखाधड़ी के गंभीर आरोप
पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2022 के लिए आवेदन में गलत जानकारी देकर आरक्षण का लाभ उठाया. हालांकि, उन्होंने इन सभी आरोपों को खारिज किया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि इस मामले में एक व्यापक षड्यंत्र की जांच आवश्यक है. अदालत ने टिप्पणी की कि यदि उन्हें अग्रिम जमानत दी जाती है, तो इससे जांच प्रभावित हो सकती है. 'अग्रिम जमानत याचिका खारिज की जाती है. गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा वापस ली जाती है,' हाईकोर्ट ने कहा था.
हाईकोर्ट ने किया था सख्त रुख
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यूपीएससी परीक्षा देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा है और ये मामला संवैधानिक निकाय और समाज के साथ की गई धोखाधड़ी का एक स्पष्ट उदाहरण है. हाईकोर्ट में दिल्ली पुलिस और यूपीएससी दोनों ने खेडकर की अग्रिम जमानत का विरोध किया था. दिल्ली पुलिस ने अदालत में दलील दी थी कि मामले में अन्य लोगों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए खेडकर की हिरासत आवश्यक है.
वहीं, UPSC ने भी इस याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि खेडकर ने आयोग और जनता के साथ धोखाधड़ी की है और इस धोखाधड़ी की गहराई को उजागर करने के लिए उनकी हिरासत जरूरी है.
UPSC ने की थी कानूनी कार्रवाई
UPSC ने खेडकर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करवाया था, जिसमें उन पर सिविल सेवा परीक्षा में गलत पहचान के तहत लाभ लेने का आरोप लगाया गया था. दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है. अगले 3 सप्ताह में सरकार की ओर से जवाब दाखिल होने के बाद इस मामले की आगे सुनवाई होगी.


