UPSC Lateral Entry Controversy: भारतीय लोकसेवा आयोग ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी किया है. इसमें 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री के जरिए 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मंगाए गए हैं. इसके बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसका विरोध किया और देश में इसे लेकर बहस छिड़ गई. इसके बाद लोग अब कांग्रेस सरकार के समय लेटरल एंट्री से हुई भर्तियों को लिस्ट बना रहे हैं. आइये हम बताते हैं 9 बड़े नामों के बारे में जो आए और अपने काम के दम पर छा गए.
दरअसल, सरकार UPSC के जरिए ही लेटरल एंट्री पर भर्ती करती है. इसमें विषय विशेषज्ञ होते हैं. इस भर्ती में आरक्षण का फायदा नहीं दिया जाता है. इसमें केवल क्षेत्र विशेष के ज्ञान को तवज्जो दी जाती है. इसमें देखा जाता है कि कैंडिडेट का अनुभव कैसा और कितना है. इस भर्ती के कारण सरकार पर आरोप लगाया गया है कि वो SC, ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीन रही है.
मनमोहन सिंह
सैम पित्रोदा
वी कृष्णमूर्ति
बिमल जालान
कौशिक बसु
अरविंद विरमानी
रघुराम राजन
मोंटेक सिंह अहलूवालिया
नंदन नीलेकणि
मनमोहन सिंह- 1971 में विदेश विभाग में आर्थिक सलाहकार के रूप में लेटरल एंट्री ली. इसके बाद वो वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री बने. उनके किए गए सुधारों की चर्चा विरोधी भी करते रहते हैं.
सैम पित्रोदा- ये मूल रूप से ओडिया है. उद्यमी एक उद्यमी है. इन्हें विदेश से बुलाकर सरकार का हिस्सा बनाया गया था. इन्होंने राजीव गांधी के साथ मिलकर सूचना संरचना के लिए काम किया. ये इन्हें PM का सलाहकार के साथ राष्ट्रीय नवाचार परिषद का अध्यक्ष बनाया गया था.
रघुराम राजन- इन्हें पहले मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया था. इसके बाद में 2013 से 2016 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर के रूप में काम दिया गया. First Updated : Tuesday, 20 August 2024