'बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी' इलाहाबाद HC ने धर्मांतरण पर जताई चिंता
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण के मामले पर सुनवाई करते हुए गंभीर टिप्पणी की और कहा कि देश में बड़े स्तर पर एससी, एसटी और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है. इसे तत्काल रोका जाना चाहिए. धार्मिक सभाओं में पैसों का लालच देकर यही जारी रहा तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी.
Allahabad High Court: हमारे देश में धर्म परिवर्तन का मामला अक्सर सामने आता रहता है. गरीबों को पैसों का लालच देकर उनसे धर्म परिवर्तन करवाया जाता है. इस गंभीर विषय पर अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने टिप्पणी की है. दरअसल सोमवार को कोर्ट ने कहा कि यदि धर्म परिवर्तन का वर्तमान चलन जारी रहा तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी.
उत्तर प्रदेश के एक गांव से लोगों को कल्याण समारोह के नाम पर धार्मिक समागम में ले जाने और उन्हें ईसाई धर्म में धर्मांतरित करने के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, "यदि धार्मिक समागमों में धर्मांतरण की वर्तमान प्रवृत्ति को नहीं रोका गया तो बहुसंख्यक आबादी खुद को अल्पसंख्यक पाएगी."
धार्मिक सभाओं पर तत्काल रोक
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजनों को तत्काल रोका जाना चाहिए, जहां धर्मांतरण हो रहा हो और भारत के नागरिकों का धर्म बदला जा रहा हो. उच्च न्यायालय ने इस बात पर भी गौर किया कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा आर्थिक रूप से वंचित समुदायों के लोगों को अवैध रूप से ईसाई धर्म में धर्मांतरित करने की व्यापक प्रथा है.
ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराने का मामला आया सामने
अदालत ने कहा, "कई मामलों में यह बात अदालत के संज्ञान में आई है कि उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और आर्थिक रूप से गरीब लोगों सहित अन्य जातियों के लोगों का ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराने की गैरकानूनी गतिविधि बड़े पैमाने पर की जा रही है."
हाईकोर्ट ने की की गंभीर टिप्पणी
संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देते हुए न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के धर्मांतरण इसके प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं. अनुच्छेद 25 धर्म का पालन करने और उसका प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है, जिसमें धर्म को बढ़ावा देने का अधिकार शामिल है, लेकिन यह स्पष्ट रूप से धर्म परिवर्तन का समर्थन नहीं करता है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा, प्रचार का मतलब बढ़ावा देना है, लेकिन इसका अर्थ किसी व्यक्ति को उसके धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करना नहीं है."