43 साल बाद मुरादाबाद दंगे जांच रिपोर्ट को सदन पटल पर सार्वजनिक करेगी योगी सरकार
साल 1980 में मुरादाबाद में ईद की नमाज के बाद हुए दंगे की रिपोर्ट अब सार्वजनिक होने जा रही है। इन 43 सालों में 15 नए मुख्यमंत्री बने लेकिन आज तक यह रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। लेकिन अब यह रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर योगी सरकार रखने जा रही है।
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में साल 1980 में हुए दंगे की जांच के लिए बनी जस्टिस सक्सेना आयोग की रिपोर्ट को योगी सरकार सार्वजनिक करेगी। 3 अगस्त 1980 को ईद के नमाज के बाद यह दंगा भड़का था हैरानी की बात यह है कि इस दंगे को हुए इतने साल बीत गए लेकिन 2017 तक राज्य में कई पार्टी की सरकार बनी लेकिन किसी भी सरकार इस दंगे की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं जुटा सकी।
1980 के दंगे में 83 लोगों की हुई थी मौत
मुरादाबाद में हुए दंगे में 83 लोगों की मौत हो गई थी और 112 लोग घायल भी हुए थे। इस दंगे की जांच सक्सेना आयोग ने की थी। लेकिन कहा जाता है कि जांच रिपोर्ट इतनी विस्फोटक थी कि किसी मुख्यमंत्री ने इन 43 सालों में इसे सबके सामने लाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। हालांकि अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में इस रिपोर्ट को सदन के समक्ष रखने की मंजूरी दी गई है।
रिपोर्ट सदन पटल पर सार्वजनिक करने की क्या है वजह
खबरों के मुताबिक जस्टिस सक्सेना आयोग की जांच रिपोर्ट में इस दंगे में मुख्य भूमिका मुस्लिम लीग के प्रदेश अध्यक्ष को मानी गई है जो मुरादाबाद के निवासी था। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस जांच रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दूसरे समुदाय के लोगों को फंसाने और सांप्रदायिक हिंसा के लिए इस दंगे की साजिश की गई थी।
जस्टिन सक्सेना आयोग का गठन तत्कालीन बीपी सिंह ने किया था, इस आयोग ने 20 नवंबर 1983 को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी थी। जब यह दंगा हुआ था तब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार यानी विश्वनाथ प्रताप सिंह मुख्यमंत्री के पद पर थे। इसके बाद विश्वनाथ सिंह देश के प्रधानमंत्री भी बने।