Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या के राम मंदिर में सोमवार 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह का आयोजन होना है. हालांकि रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया 16 जनवरी से ही प्रारंभ हो चुकी है. प्रमुख प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को गर्भगृह में होना है. इस पूजा में देश (भारत) के प्रधानमंत्री भी शामिल होंगे. राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 12:15 बजे से 12:45 के बीच होने की संभावना है.
प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त में किया जाएगा. 22 जनवरी को 12 बजकर 29 मिनट और 8 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक ही अभिजीत मुहूर्त रहेगा. यह मुहूर्त मात्र 84 सेकंड का रहेगा. रामलला की पहली आरती सुबह 6:30 बजे होगी, जिसे श्रृंगार आरती कहा जा रहा है. इसके बाद दोपहर में भोग आरती और शाम 7:30 बजे संध्या आरती की जाएगी. आरती में शामिल होने के लिए सभी श्रद्धालुओं को पास की आवश्यकता होगी.
22 जनवरी को पौष माह की द्वादशी तिथि है. रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का पूरा कार्यक्रम अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न एवं वृश्चिक नवांश में किया जाएगा. भगवान श्री राम की मूर्ति 4.24 फीट ऊंची मूर्ति 3 फीट चौड़ी है. मूर्ति का वजन तकरीबन 200 किलोग्राम है. मस्तक पर सूर्य, स्वास्तिक, ॐ, गदा और चक्र है. मूर्ति में मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि अवतार भी बने हुए है.
वहीं निचले स्थान पर दाईं ओर हनुमान जी और बाईं ओर गरुड़ देव भी हैं. 22 जनवरी को आम जनता के लिए अयोध्या में भगवान के दर्शन की सुविधा नहीं रहेगी. आप सभी घर पर रहकर लाइव दशनों का आनंद उठा सकते हैं. 23 जनवरी से श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में भगवान राम के दर्शन का समय सुबह 7:00 बजे 11:30 बजे तक और फिर दोपहर 2:00 बजे से शाम 7:00 बजे तक रहेगा.
बता दें कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अनुसार, भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रवेश केवल श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की तरफ से जारी की गई प्रवेशिका के जरिए ही संभव है. केवल निमंत्रण पत्र से आने वालों को प्रवेश सुनिश्चित नहीं हो किया जाएगा. प्रवेशिका पर बने QR Code के मिलान के बाद ही परिसर में प्रवेश मिलेगा.
वहीं अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले भगवान रामलला की नई मूर्ति गुरुवार 18 जनवरी की दोपहर राम मंदिर के गर्भगृह में रखी गई थी. गर्भगृह में मूर्ति स्नपन के बाद रामलला की रजत मूर्ति और विग्रह को 114 कलशों से स्नान कराया गया. वैदिक परंपरा में इसे मूर्ति स्नपन कहा जाता है.
बता दें कि मूर्ति स्नपन की इस प्रक्रिया को चारों वेदों के वैदिक विद्वानों ने पूरा कराया. वहीं मुंबई के सिद्धमठ के गुरु गोरखनाथ भी उन 121 आचार्यों में शामिल हैं जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा के लिए बुलाया गया है. रामलला को देखकर गुरु गोरखनाथ की आंखों में खुशी के आंसू भर आए. रामलला को टाट से ठाठ तक लाने में जो संघर्ष और इंतजार सनातनियों ने किया, उसको यादकर गुरुजी का गला रूंध गया और आंखों से आंसू छलक पड़े.
गुरुजी ने वो वक्त याद किया जब राम मंदिर के लिए लंबी लड़ाई लड़ी गई थी और आज सोमवार को रामलला मंदिर में विराजमान हो रहे हैं. साधु-संतों के साथ-साथ इस पल को करीब से देखने और रामलला की पहली झलक पाने के लिए भारत के कोने-कोने से श्रद्धालुगण अयोध्या पहुंच रहे हैं. First Updated : Sunday, 21 January 2024