Ayodhya Ram Mandir : रामलला की मूर्ति में बनाए गए हैं भगवान विष्णु के दशावतार, जानिए क्या है इसकी खासियत
Ramlala Idol : रामलला की मूर्ति में भगवान विष्णु के दशावतार को बनाया गया है. इसमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि अवतार देखाई दे रहे हैं.
Ramlala Pran Pratishtha : वर्षों के इंतजार के बाद भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार हो गया है. रामभक्तों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण क्षण है. 22 जनवरी, 2024 को रामलला के बाल रूप मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है. प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी इस दिन राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे. फिलहाल मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया गया है और मूर्ति की तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. रामलला की इस सुंदर प्रतिमा को देखकर हर किसी से चेहरे पर खुशी देखने को मिल रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं?, रामलला की इस मूर्ति में विष्णु के दशावतार बनाए गए हैं. आज हम इसके बारे में बताएंगे.
रामलला की प्रतिमा का रहस्य
रामलला की इस मूर्ति में भगवान विष्णु के दशावतार को बनाया गया है. इसमें मत्स्य, कूर्म, वराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि अवतार देखाई दे रहे हैं. इसमें एक तरफ हनुमान तो दूसरी ओर गरुड़ नजर आ रहे हैं. इस मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच रखी गई है, इसके चारों ओर आभामंडल है. जानकारी के अनुसार प्रतिमा का वजन लगभग 200 किलोग्राम है. प्रतिमा के सिर पर सूर्य विराजमान हैं और आभामंडल के नीचे राम जी के भक्त हनुमान बनाए गए हैं. साथ ही स्वास्तिक, ओम, चक्र और गदा को भी मूर्ति में उकेरा गया है.
कमल के आसन पर बनी है मूर्ति
रामलला की मूर्ति को कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने तैयार किया है. इस मूर्ति को कमल के आसन पर विराजित किया गया है. रामलला के बाएं हाथ में धनुष होगा और दाहिने हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देंगे. उनके सिर पर सोने का मुकुट पहनाया जाएगा. प्रतिमा को बनाने में काले रंग के एक ही पत्थर का इस्तेमाल किया गया है. इस खासियत है कि मूर्ति की उम्र हजार साल से ज्यादा है और इसके ऊपर पानी या किसी अन्य वस्तु का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होगा. मूर्ति पूरी तरह सुरक्षित रहेगी.
मंदिर में विराजमान है गणपति और महादेव
राम मंदिर में सीढ़ियों से गर्भगृह की ओर आगे जाने पर सबसे पहले नृत्यमंडप है. इसमें 8 स्तंभ हैं और इस पर भगवान शिव व उनके परिवार की भी मूर्तियां बनाई गई हैं. इससे आगे बढ़ने पर रंगमंडप है इसके बीच में चार स्तंभों पर गणपति विराजमान हैं. वहीं सभा मंडप के चार स्तंभों पर गणपति जी की मूर्ति बनाई गई है और इसकी दीवारों पर रामलला की लीलाओं को उकेरा गया है. सभा मंडप के सामने गर्भगृह है, जिसमें आपको स्वर्णजड़ित द्वार से होकर रामलला के दर्शन होंगे.
शेषशय्या पर विश्राम कर रहे विष्णु भगवान
गर्भगृह के मुख्यद्वार के ऊपर शेषशय्या पर विश्राम करते विष्णु भगवान को उकेरा गया है. उनके साथ ब्रह्माजी और शिवजी भी हैं. गर्भगृह की चौखट पर दोनों ओर चंद्रधारी गंगा, यमुना की मूर्तियां भी बनी हुई हैं. एक ओर मगरमच्छ पर गंगाजी विराजमान और हाथ में कलश लिए हैं. दूसरी ओर कूर्म पर विराजमान यमुनाजी की प्रतिमा हैं. मंडप के एक ताखे पर हनुमानजी की प्रमाण मुद्रा के ऊपर अंगद, सुग्रीव व जामवंत की मूर्तियां भी बनाई गई हैं.