UP News: उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि केवल अपराध की सजा के आधार पर किसी सरकारी सेवक को बर्खास्त नहीं किया जा सकता. ऐसा करने के लिए विभागीय जांच कार्यवाही किया जाना जरुरी है. सुप्रीम कोर्ट के तमाम फैसलों के हवाले से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 311 (2) के तहत किसी सरकारी कर्मचारी को बिना जांच कार्यवाही के निष्कासित नहीं किया जा सकता साथ ही रैंक भी नहीं घटाया जाएगा.
हाल ही में उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के उच्च प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर के सहायक अध्यापक को दहेज हत्या में मिली उम्र कैद की सजा के बाद BSA द्वारा बर्खास्त करने के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया और अनुच्छेद 311 (2) के उपबंधों के अनुसार नए सिरे से दो माह में आदेश पारित करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने आगे कहा कि याची की सेवा बहाली व सेवा परिलाभ नए आदेश पर निर्भर करेगा. यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीब शुक्ल कटियार की याचिका स्वीकार करते हुए दिया है.
साल 2009 में दहेज हत्या का मामला दर्ज हुआ. सत्र अदालत ने याची को भी दोषी करार दिया और उम्रकैद की सजा सुनाई. इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी कानपूर देहात ने याची को बर्खास्त कर दिया. इसे याचिका में चुनौती दी गई थी. याची की तरफ से अधिवक्ता धनंजय कुमार मिश्र ने कहा कि अनुच्छेद के तहत BSA का बर्खास्तगी आदेश अवैध है इसे रद्द किया जाए. First Updated : Tuesday, 12 September 2023