Shriram Birth story: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा आने वाले 22 जनवरी को होने वाली हैं. वहीं राम मंदिर का निर्माण कार्य अभी भी लगातार जारी है, मंदिर की ऊंचाई करीब 162 फीट की होगी. जबकि इस विशेष पावन मौके पर हम आपको प्रभु राम के जन्म की कहानी बताएंगे. जिस कथा को तुलसीदास ने अपनी अवधी भाषा में लिखा है. भगवान के बारे में कहा जाता है कि, राम का नाम की सत्य है, रघुनाथ का नाम लेने मात्र से सारी बाधाएं मिट जाती है. अब हम आपको बताएंगे श्रीराम की जन्म कथा.
अवध में रघुकुल के राजा दशरथ हुआ करते थे, जिनकी गाथा वेदों पुराणों में लिखा गया है. दशरथ के बारे में बताया जाता है कि, उनकी बुद्धि उन्हीं की गुलाम थी. राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी कौशल्या, कैकई, सुमित्रा. ये तीनों रानियां भगवान हरि के भजन में लगी रहती थी. एक बार राजा के मन में ख्याल आया कि, उनकी कोई संतान नहीं है.
राजा दशरथ ने तुरंत अपने गुरु को बुलाया और विनय करते हुए दिल के हर बात गुरु वशिष्ठ को बताई. जिसके बाद गुरु ने कई ऋषियों को आमंत्रित करके बुलाया और यज्ञ करने की सलाह राजा दशरथ को दी. इस दौरान यज्ञ की अग्निकुंड से हाथ में खीर लिए अग्निदेव प्रकट हुए, और उन्होंने कहा कि, इस खीर को तुम अपनी तीनों पत्नियों को ले जाकर खिला दो.
जिसके बाद यज्ञ से लौटने के बाद राजा दशरथ ने अपनी पत्नियों को आवाज लगाई, इस आवाज को सुनकर कौशल्या, कैकई, सुमित्रा तीनों प्रकट को गई. साथ राजा ने उन्हें खीर खाने का आदेश दिया, तीनों खार खाकर मग्न दिखी, इसके बाद तीनों रानियां गर्भवती हो गई. ये समाचार अवध में आग की तरह फैल गई. फिर क्या था चारों तरफ नगाड़े बजने लगे. देवी देवता थी आकाश से फूलों की वर्षा करने लगें.
वहीं देखते ही देखते एक दिन श्रीहरि भगवान विष्णु राजा दशरथ के आंगन में पुत्र रूप में जन्म लिए, जगदाधार के प्रकट होने के समाचार से पूरे अवधवासी प्रसन्न हो उठे. दिन दयाल, दीनों पर कल्याण करने वाले कौशल्या पुत्र, श्याम शरीर लिए मां की गोद में खेलने लगें. जिनके बड़े-बड़े नेत्र, आभूषण से सुशोभित तन राक्षसों का संहार करने के लिए धरती पर जन्म ले चुके थे.
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी।
लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी।
भूषन वनमाला नयन बिसाला सोभासिंधु खरारी।।
माता कौशल्या हाथ जोड़कर विनती करने लगी कि, हे अनंत मैं किस प्रकार से तुम्हारी आराधना करूं, वेद पुराण तुमको माया, आप खुद ज्ञान से परिपूर्ण हो, आप तो जगत के कल्याण के लिए धरती पर प्रकट हुए हैं. भगवान राम का सुंदर मुख देखने के लिए देवी-देवता भी तरसने लगे. आकाश में पुष्प वर्षा होने लगी, प्रभु राम की आराधना होने लगी. चारों दिशाएं खिलखिला उठी, सोहर गीतों के साथ राजा दशरथ का आंगन नाचने लगा.
First Updated : Sunday, 14 January 2024