Explainer : जानिए क्या है काशी का स्वर्वेद मंदिर, यहां नहीं होगी किसी भगवान की पूजा
Swarved Mahamandir In Varanasi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन किया है. यह विश्व का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर बन गया है.
Swarved Mahamandir In Varanasi : दुनिया भर में लोग अच्छी सेहत के लिए योगा करते हैं. इसके कई प्रकार के लाभ हमारे शरीर को मिलते हैं. कहते हैं अगर कोई रोजाना योगा करता है तो उस स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं होती है. योग के महत्व को देखते हुए सोमवार 18 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में स्वर्वेद मंदिर का उद्घाटन किया है. यह विश्व का सबसे बड़ा मेडिटेशन सेंटर बन गया है, यहां पर लगभग 20,000 लोग एक साथ मेडिटेशन कर सकते हैं.
मंदिर में नहीं होगी भगवान की पूजा
स्वर्वेद मंदिर वाराणसी के चौबेपुर थाना क्षेत्र के उमरहां गांव में बना है. ऐतिहासिक रूप से यह मंदिर बहुत ही खास होने वाला है क्योंकि संबंध सीधे सद्गुरु सदाफल देवजी महाराज से भी जुड़ता है. हैरानी के बात यह है कि इस मंदिर में किसी भी भगवान की पूजा नहीं होगी. लेकिन मंदिर में साधना की देवी यहां विराजमान होंगी और उनकी मौजूदगी में साधकों को योग क्रियाएं सिखाई जाएंगी.
स्वर्वेद मंदिर की खासियत
स्वर्वेद मंदिर लगभग 64 हजार वर्ग फीट एरिया में बना हुआ है. इसके निर्माण में 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. यह मंदिर आध्यात्मिकता का प्रतीक आध्यात्मिक ग्रंथ स्वर्वेद को समर्पित है. आपको बता दें कि स्वर्वेद मंदिर की नींव सद्गुरु श्री सदाफल देवजी महाराज द्वारा रखी गई है. इसे 125 कमल की पंखुड़ियों वाले गुंबद से सजाया गया है. यहां पर 20 हजार लोग एक साथ मेडिटेशन कर सकते हैं. इसके शीर्ष पर 9 अष्टकमल और 7 मंजिलें हैं और चारों ओर 101 फव्वारे लगे हैं.
स्वर्वेद मंदिर की अन्य विशेषता
मंदिर 3 लाख स्क्वॉयर फीट से अधिक में फैला हुआ है और यहां मकराना मार्बल पर स्वर्वेद के 3137 छंद भी उकेरे हुए हैं. महामंदिर की आधारशिला साल 2004 में सद्गुरु आचार्य स्वतंत्र देव और संत परिवार विज्ञान देव ने रखी थी. इसके निर्माण में 20 साल लग गए. मंदिर के बनाने में 15 इंजीनियरों के साथ 600 कर्मी भी लगे थे.
इसकी दीवारों पर गुलाबी पत्थर लगा हुआ है और आसपास बड़ा पार्क है, जहां पर जड़ी-बूटियां लगी हुई हैं. 5 मंजिलों की दीवारों पर स्वर्वेद के 4 हजार से अधिक दोहे और कई प्रसंगों को उकेरा गया है. इसमें पिंक सैंड स्टोन, मकराने का संगमरमर और राजस्थान के ग्रेनाइट का इस्तेमाल हुआ है.
कौन थे सदाफल देवजी महाराज
स्वर्वेद के लेखक सदाफल देवजी महाराज ही हैं, उन्होंने विहंगम योग की स्थापना की थी. उनका जन्म 19वीं सदी में हुआ था. वह आध्यात्मिक गुरु और विद्वान थे.