Gyanvapi Case: प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत दावा पेश करेगा मस्जिद पक्ष, तहखाने में छुपे हैं मंदिर होने के साक्ष्य

Gyanvapi Case: अंजुमन इंतजामिया मस्जिद के संयुक्त सचिव एसएम यासीन का कहना है कि देश की आजादी से बहुत पहले से मुसलमान ज्ञानवापी में नमाज पढ़ते रहे हैं.

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Gyanvapi Case: श्रृंगार गौरी मामले में मंदिर पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा पेश किया, जिसमें कहा गया कि ज्ञानवापी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का सर्वे जरूर हुआ, लेकिन कई हिस्से ऐसे हैं जिनकी जांच नहीं हो सकी. इनमें इमारत के शिखर के नीचे बेसमेंट का हिस्सा भी शामिल है. अगर इनकी जांच की जाए तो कई ऐसे सबूत सामने आएंगे जो यह साबित करने में मददगार होंगे कि ज्ञानवापी एक मंदिर है.  

विष्णु शंकर जैन ने दावा करते हुए कहा कि शास्त्रों के अनुसार, ज्ञानवापी स्थित आदि विश्वेश्वर मंदिर अष्टकोणीय है. इसके मध्य में एक गर्भगृह था. मंदिर को तोड़कर उसके ऊपर वर्तमान भवन बनाया गया. एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही और एएसआई की सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान भवन के नीचे एक बड़े क्षेत्र को दीवारों, ईंटों और पत्थरों से बंद कर दिया गया है. 

एएसआई ने रिपोर्ट में लिखा है कि नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) के विशेषज्ञों ने इमारत के तीन गुंबदों के नीचे जीपीआर सर्वे किया था. सर्वेक्षण में साउथ हॉल, सदर्न हॉल, सेंट्रल हॉल, ईस्टर्न हॉल, नॉर्थ हॉल और नॉर्थ हॉल को शामिल किया गया. 

प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट के तहत दावा 

प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट 1991 के जरिए मस्जिद पक्ष ज्ञानवापी पर अपना दावा मजबूत करेगा. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद के संयुक्त सचिव एसएम यासीन का कहना है कि देश की आजादी से बहुत पहले से मुसलमान ज्ञानवापी में नमाज पढ़ते रहे हैं.

कब बनी ज्ञानवापी मस्जिद?

वाराणसी जिला न्यायालय के साथ-साथ उच्च न्यायालय ने भी माना है कि ज्ञानवापी स्थित माँ श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन और पूजा की मांग वाला मामला पूजा स्थल अधिनियम 1991 से बाधित नहीं है. यासीन शेख के अनुसार, जौनपुर के मुस्लिम मोहद्दीस ने 804-42 हिजरी (वर्तमान में 1445 हिजरी) के बीच ज्ञानवापी में मस्जिद का निर्माण कराया.  First Updated : Monday, 29 January 2024

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