IIT कानपुर को आर्टिफिशियल रेन परीक्षण में मिली बड़ी कामयाबी, अब क्लाउड सीडिंग पर फोकस
IIT कानपुर ने 23 जून को क्लाउड सीडिंग के लिए एक परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक आयोजित की। यह परियोजना कुछ साल पहले शुरू की गई थी और इसका नेतृत्व IIT कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग द्वारा किया जाता है.
उत्तर प्रदेश के कानपुर में शनिवार 24 जून को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। पांच हजार फुट की ऊंचाई से सेना एयरक्राफ्ट की मदद से IIT के ऊपर हवा में केमिकल पावडर गिराया गया है। इसके बाद कृत्रिम बारिश शुरू हो गई। IIT कानपुर ने 23 जून को क्लाउड सीडिंग के लिए एक परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक आयोजित की। यह परियोजना कुछ साल पहले शुरू की गई थी और इसका नेतृत्व IIT कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग द्वारा किया जाता है।
IIT कानपुर के कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग मणिंद्र अग्रवाल ने बताया, " IIT कानपुर में एक अनोखा प्रयोग किया गया. क्लाउड सीडिंग के लिए एक परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक आयोजित की गई। अमेरिका में एक निर्माता से खरीदे गए क्लाउड-सीडिंग अटैचमेंट के साथ एक सेसना विमान उड़ाया गया था। परीक्षण उड़ान में मानक अभ्यास के अनुसार फ्लेयर का उपयोग करके एजेंटों को फैलाया गया।"
उन्होंने आगे कहा, "बारिश नहीं हुई क्योंकि हमने बादलों में फ्लेयर्स नहीं दागे, यह उपकरण के लिए एक परीक्षण था। लेकिन सफल परीक्षण उड़ान का मतलब है कि अब हम बाद के चरणों में क्लाउड सीडिंग चलाने के लिए तैयार हैं। यह प्रयोग डीजीसीए से उचित अनुमोदन के साथ आयोजित किया गया था। हम पिछले कुछ वर्षों से इस परियोजना पर काम कर रहे हैं। कोविड के कारण खरीद प्रक्रियाओं में देरी हुई।"
A unique experiment was done at IIT Kanpur. A test flight for cloud seeding was successfully conducted. A Cessna aircraft was flown with cloud-seeding attachments procured from a manufacturer in the US. The test flight spread the agents using a flare as is standard practice:… pic.twitter.com/s2qEDylUec
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 24, 2023
जानिए क्या होती है क्लाउड-सीडिंग
जब आसमान में काले बादल चारों ओर बादल छा जाते है और बिजली तड़तड़ाने लगती है। तबी कहीं न कहीं बारिश होती है। लेकिन क्लाउड-सीडिंग के माध्यम से कभी भी कहीं भी बारिश कराई जा सकती है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी सहायता से अब सूखे और प्रदूषण जैसी परेशानियों को आसानी से निपटा जा सकता है। दरअसल क्लाउड-सीडिंग के दौरान एक विमान के कई सारे क्लाउड-सीड बादलों में बिखेर दिए जाते हैं। जिसके बाद आसमान में बादल भर जाते हैं और फिर कुछ देर बाद बारिश हो जाती है। हालांकि ये प्रकिया बेहद मुश्किल है।