UP Politics: लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने जातीय समीकरण को संतुलित करने के लिए पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) का नारा दे रखा है. लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव की चुनौतियों को देखते हुए सपा अगड़ा को भी जोड़ने में जुट गई है. इसी कड़ी में सपा ने एक ब्राह्मण सम्मेलन आयोजित कर रही है. एक दिन पहले ही कन्नौज से आए लखनऊ में सपा मुख्यालय में महा ब्राह्मण पंचायत का सम्मेलन हुआ. जिसमें शामिल होने के लिए यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी पहुंचे.
इस सम्मेलन में ब्राह्मणों की ओर से सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य का भी मुद्दा उठा था, हिंदू धर्म और रामचरितमानस जैसे धार्मिक आस्था के मुद्दे पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान देकर काफी चर्चाओं में बने हुए हैं. अब ब्राह्मण समाज और सपा प्रबुद्ध सभा की राज्य कार्यकारिणी के पदाधिकारियों का और कार्यकर्ताओं ने बिना किसी के नाम लिए ही अपनी आपत्ति दर्ज करवाई है. साथ ही ऐसे बयानों पर रोक लगाने की मांग की है. जब यह मुद्दा उठाया गया तो इस दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी मौजूद थे.
अखिलेश यादव ने कहा कि इस तरह के बयानों पर अंकुश लगाने की कोशिश की जाएगी. उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं को नसीहत दी है कि इस तरह के बयानों पर अंकुश लगाए जाएं ताकि समाज में किसी तरह का मनभेद न हो. बता दें कि अखिलेश यादव पहले भी अपने नेताओं को कह चुके हैं कि वह जाति और धर्म पर टिप्पणी करने से बचें. लेकिन इसका कुछ खास असर होता हुआ नहीं दिखाई देता है. साथ ही सपा के कई ब्राह्मण नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों से नाराजगी भी जाहिर करते रहते हैं.
आपको मालूम हो कि रामचरितमानस को लेकर विवादित बयान देकर स्वामी प्रसाद मौर्य का चर्चाओं में रहे थे. अगस्त माह में मौर्य ने सोशल साइट एक्स पर वीडियो जारी कर कहा कि ब्राह्मणवाद की जड़े काफी गहरी हैं और समाज में सारी विषमता का कारण भी ब्राह्मणवाद भी है. First Updated : Monday, 25 December 2023