Janmabhoomi Case: मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद में जांच के आदेश पर बोले ओवैसी- कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बन रहा
Krishna Janmabhoomi Case: उत्तर प्रदेश के मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद की जांच एडवोकेट कमीश्नर से कराने की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है.
Krishna Janmabhoomi Case: उत्तर प्रदेश के मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद की जांच एडवोकेट कमीश्नर से कराने की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है. इसको लेकर ऑल इंडिया मजलिस- ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन AIMIM के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा कि कानून का मजाक बना दिया है.
सांसद ओवैसी ने ट्वीट (X) पर करते हुए लिखा कि, इलाहाबाद HC ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण की अनुमति दे दी है. बाबरी मस्जिद फैसले के बाद, मैंने कहा था कि इससे संघ परिवार की शरारतें बढ़ेंगी. यह पूजा स्थल अधिनियम के बावजूद ऐसी मुकदमेबाजी पर रोक लगाने के बावजूद है.
आगे उन्होंने लिखा कि, मथुरा विवाद दशकों पहले मस्जिद समिति और मंदिर के ट्रस्ट के बीच आपसी सहमति से सुलझाया गया था. इन विवादों को एक नया गुट उछाल रहा है. चाहे वह काशी हो, मथुरा हो या लखनऊ की टाइले वाली मस्जिद, यह एक ही समूह है. कोई भी उस समझौते को यहां पढ़ सकता है, जिसे अदालत के समक्ष तय किया गया था.
1. Allahabad HC has allowed the survey of Mathura’s Shahi Idgah masjid. After Babri Masjid judgement, I’d said that it’ll embolden Sangh Parivar’s mischiefs. This is despite Places of Worship Act prohibiting such litigation.
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 14, 2023
2. The Mathura dispute was settled decades ago by… pic.twitter.com/RGgkYcUDXq
ओवैसी ने लिखा कि, पूजा स्थल अधिनियम अभी भी लागू कानून है. लेकिन इस ग्रुप ने कानून और न्यायिक प्रक्रिया का मजाक बना दिया है. सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर 9 जनवरी को सुनवाई करनी थी, तो ऐसी क्या जल्दी थी कि सर्वे का आदेश देना पड़ा?
आखिरी पैरा में ट्वीट करते हुए ओवैसी ने लिखा कि, "जब एक पक्ष लगातार मुसलमानों को निशाना बनाने में रुचि रखता है तो कृपया "देना और लेना" का उपदेश न दें, लेकिन कानून अब कोई मायने नहीं रखता. मुसलमानों से उनकी अस्मत लूटना ही अब एकमात्र लक्ष्य है.