2027 के चुनाव के लिए UP में पासी समुदाय को साधने के लिए विपक्ष ने बनाया ये प्लान, पढ़ें पूरा गणित

Uttar Pradesh Assembly Election 2027: आम चुनाव के बाद अब राजनीतिक पार्टियों का ध्यान उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव पर है. ऐसे में सभी दल अब पासी समुदाय को लुभाने में लग गए हैं, क्योंकि राज्य में जाटवों के बाद पासी दूसरा सबसे बड़ा दलित समुदाय हैं. वहीं हाल ही में बीते लोकसभा चुनाव में भी इन समुदायों के लोगों की उत्तर प्रदेश में बेहद अहम भूमिका देखने को मिली है.

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Uttar Pradesh Assembly Election 2027: लोकसभा चुनाव के बाद अब राजनीतिक दलों का ध्यान 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पर है. इस बीच सभी पार्टियां जनता के मत को साधने में अभी से लग गई हैं. एक तरह जहां समाजवादी पार्टी और भाजपा के नेता अपने-अपने तरीकों से पासियों को लुभा रहे हैं. तो वही अब इस रेस में कांग्रेस भी शामिल हो गई है. इस बीच कांग्रेस नेताओं ने आज स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक पासी नेता मसूरिया दीन की पुण्यतिथि मनाई. 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस की तरफ से इस पुण्यतिथि का आयोजन राजधानी लखनऊ के बाहरी इलाके मल्लीहाबाद में हुआ. यह पासी बहुल क्षेत्र है. इस आयोजन में पार्टी विचारक के रूप में पासियों के सशक्तिकरण के लिए उनके योगदान पर चर्चा की गई.  साथ ही, पासी नेताओं की उपस्थिति में सेमिनार भी आयोजित किया गया.  

कौन है मसूरिया दीन?

मसूरिया दीन देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ 1952 और 1957 में 2 बार फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से साथ-साथ निर्वाचित हुए थे. वहीं  ब्रिटिश शासन के दौरान आपराधिक जनजाति अधिनियम को हटाने को लेकर आंदोलन शुरू करने का श्रेय भी मसूरिया दीन को दिया जाता है. इसके अलावा, उन्होंने अनुसूचित जाति की शिक्षा के लिए भी काफी काम किया था. बता दें कि वह संविधान सभा के सदस्य थे और आजादी के बाद विधायक व सांसद चुने गए.  पासी समुदाय में आज भी उनका बहुत सम्मान है.  

राज्य का दूसरा सबसे बड़ा दलित समुदाय

इस बीच अगर हम  उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां जाटवों के बाद पासी दूसरा सबसे बड़ा दलित समुदाय है.  ये लोग राज्य की कुल अनुसूचित जाति आबादी का लगभग 16 प्रतिशत हैं. खासतौर से अवध इलाके में इस समुदाय की बड़ी मौजूदगी है. सबसे खास बात यह कि फैजाबाद लोकसभा सीट से भाजपा को हराने वाले सपा नेता अवधेश प्रसाद पासी समाज से  ही हैं. हाल ही में अपने शपथ ग्रहण समारोह में सपा सांसद ने 2 पासी चेहरों (उदा देवी और महाराजा बिजली पासी) का जिक्र किया था. 

विपक्ष को मिला पासियों का साथ?

पिछले कुछ चुनावों के दौरान ऐसा देखा गया है कि राज्य में पासी समुदाय ने बड़े पैमाने पर भाजपा के पक्ष में वोट दिया है. लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में उनका झुकाव इंडिया गठबंधन की ओर अधिक देखा गया. इस बीच  कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यह बदलाव गठबंधन में पासी की उपस्थिति की वजह से हुई है. वहीं दूसरी ओर, सपा को भी लगता कि यह उसके रैंक में समुदाय की बढ़ती भागीदारी के कारण है.  यह बढ़ती स्थिति बीजेपी के लिए चिंता का विषय बन सकती है.  ऐसे में अब यह देखना होगा कि भाजपा नेताओं की ओर से इस दिशा में क्या कदम उठाए जाते हैं. 


First Updated : Monday, 22 July 2024