Ram Mandir: श्रीराम की नगरी में जश्न की तैयारी, चांदी का चौउंर लेकर आएंगे रघुनाथ के पुजारी

Ram Mandir: भगवान रघुनाथ की मूर्ति को वर्ष 1650 में अयोध्या से कुल्लू लाया गया है. इसी मूर्ति के कारण कुल्लू का अयोध्या से 374 साल पुराना और अटूट संबंध बना हुआ है.

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Edited By: Rupa Kumari

हाइलाइट

  • भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह कुल्लू से भगवान राम के लिए चांदी का चौउंर लेकर आने वाले हैं.
  • चौउंर देवी-देवताओं का एक अहम निशान माना जाता है, जो बहुत ही पवित्र होता है. वहीं इसे पूजा व आरती में उपयोग किया जाता है.

Ram Mandir: अयोध्या में आने वाले 22 जनवरी को श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों में पूरी अयोध्या नगरी लगी हुई है. भगवान राम की नगरी श्रीराम के जयकारे से गूंजता नजर आ रहा है. भगवान राम के आने की खुशी में लोगों ने कई प्रकार की तैयारी की है. इस महान आयोजन में आने के लिए कई लोगों को निमंत्रण भेज दिया गया है. इसी बीच कुल्लू से भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह कुल्लू से भगवान राम के लिए चांदी का चौउंर लेकर आने वाले हैं. वहीं चौउंर देवी-देवताओं की पूजा-पाठ और आरती के वक्त उपयोग किया जाता है.

चौउंर देवी-देवताओं के लिए जरूरी

दरअसल भगवान रघुनाथ जो कुल्लू में स्थित हैं, उनकी तरफ से मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह इस धार्मिक समारोह का हिस्सा बनने वाले हैं. जबकि वह चांदी का चौउंर भेंट स्वरूप लेकर आने वाले हैं. वहीं चौउंर देवी-देवताओं का एक अहम निशान माना जाता है, जो बहुत ही पवित्र होता है. बता दें कि, जिला कुल्लू के साथ -साथ प्रदेश अनेक स्थान पर उपस्थित देवताओं के पास यह निशान आवश्यक होता है. पुरानी परंपरा है कि, इसके बिना देवी-देवताओं की पूजा व आरती अधूरी मानी जाती है.

छड़ीबरदार महेश्वर सिंह का बयान

वहीं छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि राम मंदिर बनना देश के लिए बहुत सौभाग्य की बात है. यह एक ऐसा दृश्य होगा जिसे देखने के बाद कई पीढ़ियों का भाग्य उदय होने वाला है. जबकि वह 18 जनवरी को कुल्लू से रवाना होने वाले हैं, रघुनाथ की तरफ से चांदी का चौउंर भेंट किया जाएगा. जानकारी दें कि, भगवान रघुनाथ की मूर्ति को वर्ष 1650 में अयोध्या से लाया गया है. इसी मूर्ति के कारण कुल्लू का अयोध्या से 374 साल पुराना और अटूट संबंध बना हुआ है.

क्या होता है चांदी का चौउंर?

चौउंर याक (चूरू) की पूंछ के बालों से इसका निर्माण किया जाता है, यह देखने में सफेद होता है. साथ ही देवी-देवताओं की पूजा-पाठ और आरती के वक्त इसका उपयोग किया जाता है. इसे प्रत्येक देवी देवताओं के पास मौजूद होना जरूरी होता है.

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14 January 2024, 07:26 AM IST

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