Ram Temple Ayodhya: राम मंदिर के लिए कभी निकाली थी रथ यात्रा, अब प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने से किया गया माना

Ram Temple Ayodhya: अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के अगले महीने होने वाले मंदिर के प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने की संभावना लगभग शून्य है।

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Ram Temple Ayodhya: राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शामिल बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी से अगले महीने होने वाले रामलला के प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने का अनुरोध किया गया है. राम मंदिर निर्माण के लिए गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को यह बात कही.

दोनों दिग्गज नेता नहीं होंगे शामिल

रामलला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भारतीयता की छटा बिखरेगी. इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर छाप छोड़ने वाली ढाई हजार हस्तियां मौजूद रहेंगी, लेकिन भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी इस महाअभिषेक में शामिल नहीं होंगे. 

दरअसल, सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकारों से बात करते हुए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा- लाल कृष्ण आडवाणी जो 96 साल के हैं और मुरली मनोहर जोशी जो 90 साल के होंगे, उनसे आग्रह किया गया था. उम्र और स्वास्थ्य का आधार. उन्हें अगले राम मंदिर के अभिषेक में शामिल नहीं होना चाहिए.' दोनों से अनुरोध किया गया है और उन्होंने अनुरोध स्वीकार भी कर लिया है.

इस दौरान चंपत राय ने याद दिलाया कि कल्याण सिंह भी भूमि पूजन में आने की जिद कर रहे थे, मैंने किसी तरह उन्हें रोका था.

चंपत राय ने आगे कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह की सभी तैयारियां जोरों पर हैं जो अगले साल 15 जनवरी तक पूरी हो जाएंगी. साथ ही प्राण प्रतिष्ठा की पूजा 16 जनवरी से शुरू होगी जो 22 जनवरी तक चलेगी. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई क्षेत्रों के लोग हिस्सा लेंगे.

चंपत राय ने कहा कि इस भव्य आयोजन में विभिन्न परंपराओं के 150 साधु-संत और छह दर्शन परंपराओं के शंकराचार्य समेत कुल 13 अखाड़े भाग लेंगे.

2019 में 9 नवंबर को आया था फैसला

बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी राम मंदिर आंदोलन में सबसे आगे थे. 9 नवंबर, 2019 को दशकों पुराने स्वामित्व विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हिंदू पक्ष में फैसला सुनाया था.  First Updated : Tuesday, 19 December 2023

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