Ram Mandir: 22 जनवरी को होगा सनातन संकल्प सिद्ध! श्रीराम मंदिर जन्मभूमि आंदोलन को इन लोगों ने दिया था वैश्विक स्वरुप
Ram Lala Pran Pratishtha: राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन नाथ सांप्रदाय के 500 सालों के संघर्ष करने का इतिहास में लोगों के द्वारा याद किया जाएगा. उन्होंने किस तरह से निस्वार्थ भाव से इसकी लड़ाई को लड़ा है.
Ram Lala Pran Pratishtha: राम आ रहे हैं! रामलला प्राण प्रतिष्ठा का अब एक दिन बचा है, ऐसे में पूरे हिंदुस्तान में इसके लेकर खूब उत्साह देखा जा रहा है. जन्मभूमि मुक्ति के 500 सालों के इतिहास में नाथ सांप्रदाय ने कड़ा संघर्ष किया है. गोरक्षपीठ की महंत परंपरा की पांच पीढ़ियों ने 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर एक वृहद अध्याय जोड़ देंगे.
मंदिर के लिए पांचों महंतों ने किया लगातार आंदोलन
महंत गोपालनाथ ने 1855 से 85 तक मंदिर को लेकर लोगों के बीच काफी मुखर रहे थे, इसके बाद योगीराज गंभीरनाथ वर्ष 1900 से 1917 मंदिर आंदोलन में काफी संघर्षरहित रहे थे. यह संघर्ष ऐसे ही जारी रहा और समय-समय पर योगियों ने आंदोलन को धार देने का काम करते रहे. राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन को निर्णायक स्थिति में पहुंचाने में महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ और योगी आदित्यनाथ ने अहम भूमिका निभाई है.
22 दिसंबर से पहले शुरू किया अखंड रामायण पाठ
महंत दिग्विजयनाथ ने वर्ष 1934 मंदिर आंदोलन को प्रबल बनाने का प्रयास किया और सनातन स्वाभिमान के साथ जोड़ते साधु-संतों को एक मंच पर लाकर मंदिर के लिए आंदोलन को विस्तार दिया. महंत दिग्विजयनाथ के समय में ही राम मंदिर बनने की एक किरण दिखने लगी थी. क्योंकि श्रीराम मंदिर में राम लला की मूर्ति रखने से 9 दिन पहले ही अयोध्या पहुंचकर अखंड रामायण का पाठ शुरू कर दिया.
नाथ संप्रदाय ने सड़क से लेकर संसद की लड़ाई
नाथ संप्रदाय के विद्वान और गोरखनाथ मंदिर से जुड़े डा. प्रदीप कुमार राव ने कहा कि नाथ संप्रदाय की आधुनिक पांच पीढ़ियों ने सड़क-संसद और न्यायायलों में श्रीराम जन्म भूमि के लिए संघर्ष किया. वहीं, नाथ संप्रदाय से जुड़े पीठाधीश्वरों ने श्रीराम जन्मभूमि के लिए किए जा रहे संघर्ष को सांस्कृतिक राष्ट्रवाद कहा. श्रीराम मंदिर के लिए उनकी जिंदगी का सबसे अहम आंदोलना था.