पति के खिलाफ दूसरी पत्नी नहीं कर सकती शिकायत, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि दूसरी पत्नी पति के खिलाफ क्रूरता की शिकायत नहीं कर सकती है. कोर्ट ने कहा कि, एक शिकायत किसी व्यक्ति के खिलाफ उसकी 'दूसरी पत्नी' के कहने पर सुनवाई योग्य नहीं है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

Allahabad High Court: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में साफ तौर पर कहा है कि दूसरी पत्नी अपने पति के खिलाफ दुर्व्यवहार करने की शिकायत दर्ज नहीं कर सकती है. इस फैसले के साथ ही हाई कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 498-ए (पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा अपनी पत्नी के खिलाफ क्रूरता का अपराध) के तहत एक शिकायत किसी व्यक्ति के खिलाफ उसकी 'दूसरी पत्नी' के कहने पर सुनवाई योग्य नहीं है.

हालांकि कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में, दहेज की मांग होने पर दहेज निषेध अधिनियम, 1961 लागू होगा. न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने यह फैसला अखिलेश केशरी और तीन अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है.

दूसरी पत्नी नहीं कर सकती पति के खिलाफ शिकायत

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक फैसला सुनाया जिसमें कहा गया है कि पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा अपनी पत्नी के खिलाफ क्रूरता का अपराध के तहत एक शिकायत किसी व्यक्ति के खिलाफ उसकी 'दूसरी पत्नी' के कहने पर सुनवाई योग्य नहीं है. न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने अखिलेश केशरी और तीन अन्य द्वारा दायर याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया. केसरी और उनके परिवार के सदस्यों ने आईपीसी की धारा 498-ए, 323, 504 और 506 और दहेज निषेध की धारा 3/4 के तहत एक मामले के संबंध में आरोप पत्र की पूरी कार्यवाही, साथ ही एक समान आदेश को चुनौती दी थी.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहा

अदालत ने 28 मार्च को अपने फैसले में कहा कि एक हिंदू द्वारा दूसरी शादी अमान्य है. इसलिए आईपीसी की धारा 498-ए के तहत मुकदमा कायम नहीं किया जा सकता है. हालांकि, डीपी अधिनियम की धारा 3/4 के तहत, अभियोजन कायम है क्योंकि धारा का मुख्य तत्व किसी भी व्यक्ति द्वारा दहेज देना, लेना या मांगना है और शादी से पहले दहेज की मांग करना भी दंडनीय अपराध है. 

क्या है पूरा मामला

उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदकों ने तर्क दिया कि उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही गैरकानूनी थी. उन्होंने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता, जिसने खुद को केसरी की पत्नी बताया, वह कानूनी रूप से उसकी वैध पत्नी नहीं थी क्योंकि केसरी ने अपनी पहली पत्नी से तलाक नहीं लिया था. इसलिए, याचिकाकर्ता की दूसरी पत्नी होने का दावा करने वाली महिला के कहने पर पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 498-ए और डीपी अधिनियम की धारा 3/4 के तहत मुकदमा चलाने योग्य नहीं था.

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04 April 2024, 06:25 AM IST

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