कौन हैं मौलाना तौकीर रज़ा ख़ान जिनकी एक आवाज़ पर इकट्ठे हो गए हजारों लोग?
Maulana Tauqeer Raza: तौकीर रज़ा ख़ान लगातार सरकार के खिलाफ बोलते आए हैं, हल्द्वानी हिंसा के अलावा उन्होंने कई मामलो में सरकार पर सवाल उठाए हैं.
Maulana Tauqeer Raza: हल्द्वानी हिंसा की आंच अब उत्तर प्रदेश के बरेली जिले तक पहुंच चुकी है. उत्तर प्रदेश के बरेली के इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा इन दिनों सुर्खियों में हैं. दरअसल, धार्मिक गुरु तौकीर रजा ने पर्चे बंटवाए जिसमें 9 फरवरी को 'जेल भरो आंदोलन' का ऐलान किया गया. पर्चों में लिखा था, ''हमें अपनी मस्जिदों, मदरसों, मजारों और ज्ञानवापी समेत मुसलमानों को मॉब लिंचिंग से बचाना है.'' तौकीर रजा का यह संदेश पढ़कर उनके समर्थक शुक्रवार को नमाज के बाद बरेली की आला हजरत मस्जिद में भारी संख्या में भीड़ जमा हो गई.
कौन हैं मौलाना तौकीर रज़ा ख़ान?
इस्लाम धर्म में एक बड़ा तबका आला हजरत के उद्देश्यों के आधार पर बरेलवी मसलक को मानता है. जिन्हें बरेलवी मुसलमान कहा जाता है. आला हजरत के परिवार का बरेलवी और कुछ अन्य समुदाय के लोगों द्वारा बहुत सम्मान किया जाता है. मौलाना तौकीर ने अपनी पार्टी इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल बनाई है. उनके दादा अहमद रज़ा खान बरेलवी आंदोलन के संस्थापक थे. तौकीर रज़ा के बड़े भाई सुभान रज़ा खान दरगाह-ए-आला हजरत की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष हैं.
#WATCH | Bareilly, Uttar Pradesh | Chief of Ittehad-e-Millat Council, Bareilly Sharif, Maulana Tauqeer Raza detained by Police. He had given a call for 'Jail Bharo' over Gyanvapi matter. pic.twitter.com/pLunB4wltv
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 9, 2024
तौकीर रज़ा ख़ान क्यों हैं सुर्खियों में?
यूपी के बरेली में आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान ने सामूहिक गिरफ्तारियां और जेल भरो आंदोलन का ऐलान किया है. तौकीर रजा ने जुमे की नमाज के बाद सामूहिक गिरफ्तारी की बात कही है. उनके ऐलान के बाद मौलाना के हजारों समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं. इसे लेकर पहले से ही भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया. तनाव बढ़ता देख पूरे इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया.
तौकीर रज़ा ख़ान का राजनीतिक सफर
तौकीर रज़ा ख़ान के परिवार में वो पहले हैं जो राजनीति में आए. 2001 में उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी इत्तेहाद-ए-मिल्लत परिषद बनाई. तौकीर रज़ा खान के राजनीतिक सफर पर नजर डाली जाए तो उन्होंने 2009 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया. उनके समर्थन से कांग्रेस उम्मीदवार बीजेपी उम्मीदवार संतोष गंगवार को हराने में कामयाब रहे थे.
तौकीर रज़ा ख़ान 2012 में समाजवादी पार्टी से जुड़ गए. 2013 में सपा सरकार ने उनको हथकरघा निगम के उपाध्यक्ष का प्रभार दिया था. इस पद को उन्होंने मुजफ्फरनगर दंगों के बाद वापस कर दिया था. 2014 में बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गए. इसी बीच उन्होंने साल 2015 में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (JPD) का गठन किया. वहीं, 2022 में मौलाना एक बार फिर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए.
विवादित बयानों से है पुराना नाता
तौकीर रज़ा ख़ान का विवादों से गहरा नाता रहा है. बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के खिलाफ उन्होंने पतवा जारी किया था जिसमें लेखिका का सिर काटकर लाने वाले को 5 लाख का इनाम देने की बात कही थी. बरेली में हुए हिंदू-मुस्लिम दंगों में तौकीर रजा को पुलिस ने मुल्ज़िम बनाते हुए गिरफ्तार किया था.
मौलाना ने ज्ञानवापी मामले में भी कानून का मजाक बनाया. दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा पर भी उन्होंने मोदी सरकार पर एकतरफा जांच का इल्जाम लगाया. आज़म ख़ान से जुड़े मामले में भी मौलाना ने सरकार को धमकी दी कि एक एक जुल्म का हिसाब लिया जाएगा. नागरिकता संशोधन बिल पर भी उन्होंने धमकी दी थी कि अगर ये वापस नहीं लिया गया तो गलियों में खून बहेगा.