Explainer: रैट माइनर्स के भरोसे सुरंग में फंसे 41 मजदूरों की जिंदगी, जानिए कैसे काम करती है ये टेक्निक

Tunnel Accident: उत्तरकाशी में अब चूहों का सुरंग खोदने वाली टीम को भेजा गया है. इन्हें रैट माइनिंग कहा जाता है जो पाइप के अंदर घुसकर हाथ से सुरंग की खुदाई करेंगे. इनके पास पारंपरिक टूल्स है जिसकी मदद से ये खुदाई करेंगे.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

Tunnel Accident Explainer:  उत्तरकाशी जिले के सिल्क्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने की अभियान पिछले 15 दिनों से जारी है. आज इस अभियान का 16 वां दिन है. वहीं टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने में जुटी रेस्क्यू टीम को बार-बार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पिछले चार दिनों से मजदूरों को निकालने के लिए आखिरी 10 मीटर की पाइप बिछाने का काम पूरा नहीं हो पाया है.

दरअसल, ड्रीलिंग के दौरान पाइप मशीन में टूट कर अंदर ही फंस गई थी. अभी केवल 48 मीटर तक ही ड्रीलिंग हो पाई है. वहीं विकल्प के तौर पर सेना के जवान पहाड़ के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग भी कर रहे हैं जो 30 मीटर तक हो चुकी है. लेकिन वहां से पानी निकलने लगा जिसके बाद काम को बंद कर दिया गया. वहीं कई भारी भरकम मशीन फेल होने के बाद अब मिशन जिंदगी के तहत मजदूरों को बाहर निकालने के लिए चूहों का सुरंग खोदने वाले 6 लोगों की स्पेशल टीम बुलाई गई है.

चूहों का सुरंग खोदने वाले रैट माइनर्स कैसे करते हैं काम-

रैट माइनर्स का नाम सुनकर आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये है कौन और काम कैसे करते हैं. तो चलिए आपको बताते हैं. दरअसल, रैट माइनर्स का मतलब है चूहों की तरह तेज खुदाई करने वाली एक स्पेशल टीम है. यही टीम अब टनल में फंसे मजदूरों का सहारा है. रैट माइनर्स के भरोसे ही अब सुरंग में फंसे 41 मजदूरों की जिंदगी है. बता दें कि, यह टीम अब 48 मीटर से आगे की खुदाई हाथ से करेंगे.

स्पेशल टूल की मदद से रैट माइनर्स करेंगे खुदाई-

उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों की जिंदगी अब रैट माइनर्स के हाथ में है. रैट माइनर्स की टीम के पास कुछ स्पेशल टूल्स है जिसकी मदद से ये तेजी से खुदाई करेंगे. दरअसल, इनके पास हथौड़ा, साबल और खुदाई करने वाले अन्य पारंपरिक टूल्स हैं जिसकी मदद से ये खुदाई करेंगे. 6 रैट माइनर्स की टीम हादसे वाली जगह पर पहुंच गए हैं. इस टीम से लोगों को बेहद उम्मीद है क्योंकि इन्हें दिल्ली और अहमदाबाद में इस तरह के काम करने का अनुभव है.

छोटी जगह में भी खुदाई करने में माहिर-

रैट माइनिंग टीम को छोटी जगह में खुदाई के लिए बेस्ट माना जाता है. जहां भारी भरकम मशीनें काम करना बंद कर देती है तो रैट माइनिंग मददगार साबित होती है.  इस तकनीक का इस्तेमाल अमूमन कोयला खदान के लिए अवैध रूप से किया जाता है. रैट माइनिंग की मदद से तेजी से खुदाई होती है और इसकी सफलता की भी उम्मीद ज्यादा रहती है. इसलिए उत्तराखंड की सुरंग में भी इसी टेक्निक का इस्तेमाल कर मजदूरों को बाहर निकाला जाएगा.

इस तरह खुदाई कर मजदूरों को निकाला जाएगा बाहर-

उत्तरकाशी सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए रैट माइनर्स टीम के दो लोग पहले पाइप लाइन में जाएंगे. उसके बाद एक आगे का रास्ता बनाएगा और दूसरा मलबे को ट्रोली में भरेगा. वहीं बाहर खड़े चार लोग पाइप के अंदर से मलबे वाली ट्रॉली को रस्सी के सहारे बाहर की तरफ खींचकर निकालेंगे.

एक बार में 6 से 7 किलो मलबा बाहर निकाला जाएगा. वहीं जब 2 लोग काम करते-करते थक जाएंगे तो फिर दूसरे 2 लोग को अंदर जाएंगे. इसी तरह से बाकी 10 मीटर की खुदाई का काम होगा.  रैट माइनिंग टीम ने कहा उम्मीद जताते हुए कहा कि, अंदर फंसे लोग भी श्रमिक है और हम भी श्रमिक है, उन्हें बचाएंगे तो कल अगर हम कहीं फंसे तो ये लोग बचाएंगे.

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27 November 2023, 05:27 PM IST

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