Uttarakhand Forest Fire: गांव तक पहुंची नैनीताल के जंगलों में लगी आग, धुंध से बढ़ रही परेशानी
Uttarakhand Forest Fire: नैनिताल के जंगलों में लगी आग बुझने का नाम नहीं ले रही है. अब ये आग इतनी फैलती जा रही है कि आस पास के गांव में भी इसका असर देखने को मिल रहा है.
Uttarakhand Forest Fire: नैनीताल के जंगलों में लगी आग लगातार भयानक होती जा रही है. अब ये जंगल के साथ-साथ आसपास के गांव की ओर बढ़ने लगी है. अभी तक आग की चपेट में दो परिवारों का एक घर आ गया है. जिला मुख्यालय से पहुंची फायर ब्रिगेड की टीम ने समय रहते भीषण आग पर काबू पा लिया. जंगल में लगी आग से खिलानंद जोशी और देवेन्द्र जोशी का पुराने तरीके से बना मकान जलकर राख हो गया.
गांव तक पहुंची आग
उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने के मामले हर साल सामने आते हैं. कई दिनों से नैनीताल के जंगलों में लगी आग बढ़ती जा रही है. आग पर काबू पाने की विभाग पूरी कोशिश में लगा है लेकिन आग इतनी विकराल है कि वो पूरी तरह से बुझ नहीं पा रही है. अब इस आग का खतरा बढ़ता ही जा रहा है,जो आग पहले जंगल तक सीमित थी अब वो आस पास के गावों तक पहुंचने लगी है. एक तरफ लोग इसके धुएं से परेशान हैं तो एक गांव में ये घरों को अपनी जद में लेने लगी है.
शनिवार देर सांय तहसील पिथौरागढ़ के दूरस्थ गांव सिलोनी में जंगल की आग के गांव तक पहुंचने और दो परिवारों के एक मकान में आग लग गई. इसकी सूचना मिलने पर दमकल विभाग के लोग मौके पर पहुंचे, गांव पहुंचने पर देखा कि जंगल की आग गांव के नासूल तक पहुंच गई है.
आग की वजह से बढ़ रहा तापमान
आग की उठती लपटों पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है, इसके अलावा एक समस्या ये भी है कि इसकी वजह से वहां पर तापमान में बढ़ोत्तरी होती जा रही है. पूरे इलाके में धुएं की चादर दिख रही है. सोमवार को चंपावत जिला मुख्यालय का अधिकतम तामपान 27.7 डिग्री व न्यूनतम 10.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.
कैसे लगी है आग
उत्तराखंड के जंगलों में आग की समस्या विशेष रूप से फरवरी से जून के महीनों के दौरान देखी जाती है, क्योंकि इस समय मौसम शुष्क और गर्म होता है. नैनीताल के जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण नमी की कमी है. भीषण गर्मी के कारण जंगल में मौजूद सूखी पत्तियां और अन्य ज्वलनशील पदार्थ आग पकड़ लेते हैं. कई बार ये लोगों की लापरवाही की वजह से होती है.