घायल पिता को लेकर गया अस्पताल, भाई पहले से ही था भर्ती, हल्द्वानी हिंसा के शिकार लोगों की आपबीती
Haldwani violence: 8 फरवरी को बनभूलपुरा में जो कुछ हुआ, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता. हर तरफ आग, धुआं और हमलावर भीड़ का शोर था. पढ़िए हिंसा के शिकार लोगों की आपबीती.
Haldwani violence: बीती 8 फरवरी को हल्द्वानी बनभूलपुरा में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण हटाने को लेकर बवाल हुआ. जिसके बाद पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था. हालांकि 11 फरवरी से कई क्षेत्रों में लोगों को कर्फ्यू से भले ही राहत मिल जाएगी, लेकिन इस हिंसा में कई ऐसे परिवार हैं जो जीवन भर अपनों को खोने का गम आसानी से भुला नहीं पाएंगे. हल्द्वानी में हिंसा के शिकार ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए अपनी आपबीती सुनाई.
हिंसा के बाद इंटरनेट बंद
बनभूलपुरा और आसपास के इलाकों में लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए हैं. यहां के कई इलाकों में इंटरनेट काट दिया गया है, हर तरफ पुलिस का पहरा, गुरुवार को मस्जिद और मदरसे को तोड़ने के बाद कार्रवाई हिंसा में बदल गई. इस हिंसा में कई लोगों की मौत हुई. इसके शिकार हुए अनस के भाई ने इंडियन एक्सप्रेस से बताया कि उस दिन क्या हुआ था.
पिता को लगी गोली
अनस के भाई मोहम्मद अमान ने उस दिन की घटना बताई. उन्होंने कहा कि जिस दिन ये विवाद हुआ उस दिन हम अपने काम पर थे, मैं वहां से काम खत्म करके वापस आ गया, लेकिन पिता वहीं पर रुक गए थे. अमान आगे बताते हैं कि 'जब मुझे हिंसा के बारे में पता चला, मैं अपने भाई अनस को घर वापस लाने के लिए बाहर निकला.' उन्होंने बताया कि 'मुझे पता चला कि मेरा एक अपने दोस्त के साथ बाज़ार में फंस गया है. इसी दौरान मेरे पिता घर पहुंचे, उन्होंने घर आकर देखा कि अनस अभी तक घर नहीं आया है तो उसकी खोज के लिए वो एक बार फिर से बाहर निकल गए.'
अमान ने बताया कि 'मेरे पिता एक डेयरी के पास खड़े थे जब उनके सीने में गोली लगी. इस बात की जानकारी अमान को उनके एक पड़ोसी ने दी. अपने भाई को खोज रहे अमान अब अपने पिता की खोज में निकले. अमान कहते हैं कि 'मैने सड़क पर अपने पिता को अचेत अवस्था में पाया, कुछ लोगों के साथ मिलकर अपने पिता को उठाया और पास के क्लीनिक ले गए.' क्लीनिक में पहुंच कर अमान देखते हैं कि जिस भाई (अनस) वो खोज कर रहे थे वो पहले से ही उस क्लीनिक में भर्ती है, उसको भी गोली लगी थी.
पिता-भाई की गई जान
अमान ने आगे बताया कि दोनों की हालत ठीक नहीं थी जिसको देखते हुए डॉक्टरों ने मुझे उन दोनों को किसी अस्पताल ले जाने के लिए बोला. हर तरफ मार काट का माहौल था ऐसे में उनको कहीं ले जाने में नाकाम रहे. इस दौरान दोनों की मौत हो गई. पोस्टमार्टम के बाद दोनों के शव घर ले आए और जिला प्रशासन की मौजूदगी में उन्हें दफना दिया गया. इस दौरान जनाजे में शामिल होने के लिए सिर्फ 5 लोगों को ही इजाजत दी गई थी.
सीने में मारी गोली
अमान के परिवार की तरह ही एक परिवार है फहीम कुरैशी का भी है. फहीम के चचेरे भाई जावेद ने दावा किया कि 'उसके पड़ोसियों ने ही उनके भाई को गोली मार दी.' जब हिंसा शुरू हुई तो फहीम घर पर ही था, जब घर के बाहर कई लोग गाड़ियां जला रहे थे उस दौरान फहीम ने उसका विरोध किया. जिस पर उसके सीने में गोली मार दी गई. जावेद ने बताया कि उनको अस्पताल ले जाया गया लेकिन तब तक उनकी जान जा चुकी थी.
फेरी वाले ने किया बेटे की मौत का दावा
गौहर बनभूलपुरा इलाके में फेरी लगाने का काम करते हैं. उन्होंने दावा किया कि उनके बेटे की भी हिंसा में मौत हो गई. गौहर ने बताया कि मेरा बेटा एक दुकान पर काम करता है, जब हिंसा शुरू हुई तो तब मैने उसको फोन किया लेकिन उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया. बाद में किसी ने बताया कि उनका बेटा चौराहे पर घायल अवस्था में पड़ा है. गौहर लोगों की मदद से अपने बेटे को घर ले आए, लेकिन अस्पताल ले जाते वक्त उसकी मौत हो गई. गौहर का कहना है कि प्रशासन की लिस्ट में उनके बेटे आरिस (18) का नाम शामिल नहीं है.
आपको बता दें कि जिला प्रशासन ने जो जानकारी दी है उसमें मरने वालों की पहचान हलद्वानी निवासी फहीम कुरेशी (30), जाहिद (45), उनके बेटे मोहम्मद अनस (16), मोहम्मद शाबान (22) और बिहार निवासी प्रकाश कुमार सिंह (24) के रूप में हुई है.