SC Judgement On Tiger Safari: कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार

SC Judgement On Tiger Safari: सुप्रीम कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए उत्तराखंड अधिकारियों की कड़ी आलोचना की है.

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SC Judgement On Tiger Safari: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) किशन चंद को फटकार लगाई है. अदालत ने पहले से ही मामले की जांच कर रही सीबीआई को तीन महीने के भीतर मामले पर अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया है.

अदालत की टिप्पणी पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील गौरव बंसल की एक याचिका के बाद आई, जिसमें राष्ट्रीय उद्यान में बाघ सफारी और पिंजरे में बंद जानवरों के साथ एक विशेष चिड़ियाघर बनाने के उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी. 

बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई- SC

न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'यह एक ऐसा मामला है जहां नौकरशाहों और राजनेताओं ने सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया है.' पीठ ने कहा, 'उन्होंने (रावत और चंद) कानून तोड़ने के साथ-साथ व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने के बहाने इमारतें बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों का कटान कराया.' इसके अलावा अदालत ने यह भी कहा कि वह वैधानिक प्रावधानों को ताक पर रख देने के रावत और चंद के दुस्साहस से आश्चर्यचकित है. 

'बाघों की रक्षा करें'

कोर्ट ने कहा कि कानून को अपने हाथ में लिया गया, हमें यकीन है कि कई अन्य लोग भी इसमें शामिल हैं. लेकिन, चूंकि CBI इसकी जांच कर रही है, इसलिए हम और कुछ नहीं कह रहे हैं.' इसने यह देखने के लिए एक समिति भी बनाई कि क्या देश में राष्ट्रीय उद्यानों के बफर या सीमांत क्षेत्रों में बाघ सफारी की अनुमति दी जा सकती है. पीठ ने कहा, महाभारत के एक उद्धरण का भी हवाला दिया गया और कहा गया, 'बाघ के बिना जंगल नष्ट हो जाता है और इसलिए जंगल को सभी बाघों की रक्षा करनी चाहिए.' First Updated : Wednesday, 06 March 2024