Explainer: टनल में फंसे लोगों को बचाने का काम युद्धस्तर पर जारी, एंडोस्कोपिक कैमरा की ली जा रही मदद, जानिए अब तक का अपडेट

Uttarakhand Tunnel Collapse: सुरंग के अंदर पर्याप्त पानी और ऑक्सीजन है. श्रमिकों को पर्याप्त मात्रा में भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. सुरंग के अंदर पर्याप्त जगह के साथ-साथ रोशनी की भी व्यवस्था है.

Shabnaz Khanam
Edited By: Shabnaz Khanam

Uttarakhand Tunnel Collapse: मंगलवार की सुबह अच्छी खबर के साथ हुई कि पहली बार उत्तराखंड के सिल्क्यारा में एक सुरंग में 10 दिनों से फंसे 41 मजदूरों की तस्वीरें और वीडियो सामने आए. यह सुरंग के मुख्य प्रवेश द्वार (सिल्कयारा साइड) से श्रमिकों के लिए विस्तारित छह इंच व्यास की 57 मीटर लंबी लाइफलाइन पाइप द्वारा संभव बनाया गया था, जिसके माध्यम से एक एंडोस्कोपिक फ्लेक्सी कैमरा श्रमिकों तक भेजा गया था. 

श्रमिकों की कुशलक्षेम की पुष्ट सूचना मिलने से उनके परिजनों एवं अन्य श्रमिकों के साथ-साथ राहत एवं बचाव दल को भी राहत मिली है. राहत और बचाव टीमों ने श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए सभी छह मोर्चों पर अपने प्रयास तैनात कर दिए हैं.

सिल्कयारा की ओर बरमा मशीन से की जा रही ड्रिलिंग, जो 17 नवंबर की दोपहर से बंद थी, एक बार फिर से रात में शुरू कर दी गयी. साथ ही सुरंग के ऊपरी हिस्से पर वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीनें लगाने का काम शुरू कर दिया गया है.

युद्धस्तर पर जारी काम 

बारकोट छोर पर भी एजेंसियों ने ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज दोनों तरह की ड्रिलिंग की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. कुल मिलाकर जान बचाने की मुहिम अब निर्णायक मोड़ की ओर बढ़ती दिख रही है. यमुनोत्री हाईवे पर चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग की निर्माण एजेंसी एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद के अनुसार, बरमा मशीन में तकनीकी खराबी के कारण सिल्क्यारा से क्षैतिज ड्रिलिंग कार्य 17 नवंबर की दोपहर से बंद था. 

उस समय तक, श्रमिकों तक 900 मिमी व्यास वाले पाइप पहुंचाने के लिए 22 मीटर की ड्रिलिंग की जा चुकी थी. कम समय में श्रमिकों को निकालने के लिए यह सबसे उपयुक्त विकल्प है. इसलिए मंगलवार सुबह एक बार फिर यहां ड्रिल करने का फैसला लिया गया. 

इससे पहले मलबे के ढेर को भेदने के लिए 900 मिमी के बजाय 800 मिमी पाइप का उपयोग करने का निर्णय लिया गया था. क्योंकि, छोटे व्यास के पाइप आसानी से मलबे में प्रवेश कर सकेंगे और कंपन भी कम होगा. रात नौ बजे तक पहले की ड्रिलिंग के 22 मीटर हिस्से में 800 मिमी व्यास के चार छह मीटर लंबे पाइप डाले जा चुके थे. 

टनल में वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीनें पहुंचने लगीं

राज्य सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी डॉ. नीरज खैरवाल के मुताबिक, टनल के ऊपर वर्टिकल ड्रिलिंग कर रेस्क्यू टनल और लाइफ लाइन टनल तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है. दोपहर तक, मशीनें स्थापित करने के लिए बेंच तैयार हो गईं, जबकि रात 9 बजे तक तीन ड्रिलिंग मशीनें लगाई गई थीं.

टीएचडीसी ने बड़कोट छोर से आठ मीटर ड्रिलिंग

महमूद अहमद के अनुसार, टीएचडीसी बड़कोट की ओर से क्षैतिज ड्रिलिंग का कार्य संभाल रही है. इस दिशा में तेजी से काम करते हुए ब्लास्टिंग के जरिए करीब आठ मीटर ड्रिलिंग की जा चुकी है. आरवीएनएल ने इस ओर से ड्रिलिंग की तैयारी भी शुरू कर दी है. हालांकि, इस हिस्से से सुरंग के अंदर खाली हिस्से की दूरी 170 मीटर से ज्यादा है.

इसी हिस्से में दूसरे प्वाइंट पर ड्रिलिंग के लिए ओएनजीसी की मदद ली जा रही है और संस्थान के विशेषज्ञों ने अपना काम भी शुरू कर दिया है. ओएनजीसी के साथ वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के विशेषज्ञ भी अन्य ड्रिलिंग स्थलों के लिए रास्ता सुगम बनाने में मदद करेंगे. बेशक बड़कोट छोर से ड्रिलिंग में अधिक चुनौती है, लेकिन मजदूरों की जान बचाने के लिए सभी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.

श्रमिकों के लिए संतरे, केले और खुबानी भेजे गए

महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने बताया कि मंगलवार सुबह छह इंच की लाइफलाइन पाइप के जरिए श्रमिकों तक संतरा, केला और खुबानी पहुंचाई गई. दवाएँ, बिजली, नमक आदि भी भेजा गया है. अब पका हुआ खाना जैसे खिचड़ी, रोटी और सब्जी भेजने की तैयारी की जा रही है. एनएचआईडीसीएल के निदेशक अंशू मनीष खलके के मुताबिक, मजदूरों से बात करने के लिए वॉकी-टॉकी भी भेजे गए, जिससे उनका हाल जाना गया.

छुट्टियों पर लगाई रोक

महानिदेशक चिकित्सा डॉ. विनीता शाह ने मंगलवार को सिल्कयारा में बने छह बेड के अस्थायी अस्पताल समेत आसपास के सभी अस्पतालों का निरीक्षण कर स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लिया. इसके साथ ही उन्होंने अगले आदेश तक उत्तरकाशी जिले के सभी डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की छुट्टी पर रोक लगा दी है.

विज्ञान और तकनीक के साथ साथ भगवान पर भरोसा

एक तरफ जहां देश की प्रतिष्ठित एजेंसियों के इंजीनियर मजदूरों को सुरंग से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए दिन-रात काम कर रहे हैं. वहीं, विश्वास से उम्मीद की डोर भी बंधी है. हाल ही में सुरंग द्वार के दाहिनी ओर स्थापित बौखनाग देवता के मंदिर में नियमित रूप से सुबह-शाम पूजा की जाती है. इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स ने भी यहां दर्शन किए.

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22 November 2023, 07:21 AM IST

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