भारत के उत्तराखंड के नैनीताल, जंगल की भीषण आग के खिलाफ लड़ाई में घिरा हुआ है, जिससे लगभग 108 हेक्टेयर की बहुमूल्य हरियाली जलकर खाक हो गई है. राज्य वन विभाग की हालिया रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले 25 घंटों में कुमाऊं क्षेत्र के भीतर जंगल में आग लगने की 26 घटनाएं हुईं, इसके अलावा गढ़वाल क्षेत्र में पांच और घटनाएं हुईं, जिससे 34.175 हेक्टेयर भूमि जल गई.
इस बीच शहर में जंगली जानवरों का खतरा बढ़ गया है क्योंकि, आग लगने के कारण जंगली जानवर शहर की ओर भाग रहे हैं. जंगल जलने से जंगल जानवरों को पानी तक नहीं मिल रहा है.
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि राजस्व क्षेत्र में पटवारी चौकियों को भी क्रू स्टेशन बना दिया जाए. इसकी उपाधिकारी निगरानी कर रहे हैं जिस तरह जंगलों की आग फैली है उस पर लोगों का कहना है कि जब तक बारिश नहीं होगी आग नहीं बुझ सकती है.
जंगलों में लगातार बढ़ती आग की घटनाओं के बीच वन विभाग के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि, सीमित संसाधन के साथ कई जगहों पर विभागीय फील्ड स्टाफ लगाया गया है जो आग को बुझाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन गर्मी और धूप की वजह से आग बुझने की बजाए और फैलती ही जा रही हैं.
प्राकृतिक और मानवीय कारकों का संयोजन मुख्य रूप से जंगल की आग का कारण बनता है. प्राकृतिक कारणों में बिजली गिरना और शुष्क मौसम की स्थिति शामिल है. हालांकि, मानवीय गतिविधियाँ जंगल की आग को काफी हद तक भड़काती हैं, जिससे वो और ज्यादा गंभीर हो जाती हैं. इन गतिविधियों में लापरवाही से धूम्रपान करना, आगजनी जलाना आदि से जंगल में आग लगने का कारण है.
जिले के जंगलों में आग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में जंगली जानवर अपनी जान बचाकर शहर की ओर भाग रहे हैं. लगभग 20 बार जंगल जल गए हैं जिससे 21.55 हेक्टेयर वन भूमि को नुकसान हुआ है. जंगली जानवरों ने अपनी जान बचाने के लिए गांव तथा शहर का रुख कर रहे हैं जो लोगों के लिए खतरा बन सकता है. बंदर सबसे अधिक नगर में धमक गए है. जंगल जलने से जंगली जानवरों को पानी तक नहीं मिल रहा है. वह भोजन तथा पानी की तलाश में नगर तक पहुंचने लगे हैं. First Updated : Friday, 03 May 2024