Uttarakhand News : पिथौरागढ़ में स्थित है बारिश के देवता का मोस्टा मंदिर, जानिए क्या है इसकी मान्यताएं
Pithoragarh : पिथौरागढ़ जिले में एक ऐसा मंदिर हैं, जहां पर बारिश के देवता की पूजा की जाती है। इस मंदिर में मोस्टा देवता की की अराधना की जाती है।
Pithoragarh : देश का उत्तराखंड राज्य लाखों लोगों के बीच सबसे मशहूर पर्यटन का स्थल है। इस प्रदेश में लाखों-देवी देवताओं के छोट व बड़े प्राचीन मंदिर हैं। यही वजह है कि इस राज्य को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। उत्तराखंड में पहाड़ों पर कई धार्मिक स्थल है। वहीं राज्य के पिथौरागढ़ जिले में एक ऐसा मंदिर हैं, जहां पर बारिश के देवता की पूजा की जाती है। इस मंदिर में मोस्टा देवता की की अराधना की जाती है।
पिथौरागढ़ में बसा है मंदिर
बारिश के देवता का मोस्टमानु मंदिर पिथौरागढ़ मुख्य शहर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम में समुद्रतल से 6 हजार की ऊंचाई पर बसा हुआ है। यह मंदिर एक चंडाक नामक पहाड़ी पर स्थित है, वहीं मोस्टा देवता को सोर घाटी में सबसे शक्तिशाली देवता के रूप में पूजा जाता है।
लोगों को यहां पहुंचने के लिए टनकपुर रेलवे स्टेशन पर आता होता है। स्टेशन से मंदिर की दूरी 138 किमोमीटर है। आपको बता दें कि मंदिर तक जाने के लिए ट्रैकिंग करनी पड़ती है। जिसके बाद ही बारिश के देवता के दर्शन करने के सौभाग्य प्राप्त होता है।
क्या है मंदिर की मान्यताएं
ऐसी मान्यताएं है कि मोस्टा देवता भगवान इंद्र के पुत्र हैं। साथ ही मोस्टा देवा की मां कालिका हैं जो धरती पर देवता के साथ रहती हैं। एक ऐसा कथा भी है कि देवराज इंद्र ने धरती पर भोग हासिल करने के लिए मोस्टा को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसलिए लोग इन्हें वर्षा के देवता के रूप में पूजते हैं।
वहीं एक ऐसा कहानी भी है कि सदियों पहले आसपास के क्षेत्रों में सूखा और अकाल पड़ गया था, जिसके बाद लोगों ने मोस्टा देवता की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया था। फिर देवता की कृपा से इलाके में बारिश हुई थी।