6 महीने जेल और ₹25000 का जुर्माना..., जानिए लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर क्या कहता है UCC?

Uttarakhand UCC Bill: उत्‍तराखंड की पुष्‍कर सिंह धामी सरकार ने मंगलवार को बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का विधेयक विधानसभा में पेश कर दिया. इस विधेयक में लिव इन रिलेशनशिप में रहने को लेकर कई सारे बदलाव किए गए गए हैं.

Manoj Aarya
Manoj Aarya

Uttarakhand UCC Bill: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मंगलवार, (6 फरवरी) को राज्य के विधानसभा में समान नागरिक संहिता (UCC) बिल पेश किया. इस विधेयक के कानून बनने के बाद उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले या रहने की प्‍लानिंग करने वाले लोगों को संबंधित जिला अधिकारियों के पास जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. वहीं, साथ में रहने की इच्छा रखने वाले 21 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए माता-पिता की सहमति आवश्यक होगी. ऐसे रिश्तों का अनिवार्य पंजीकरण उन व्यक्तियों पर लागू होगा, जो "उत्तराखंड के किसी भी निवासी... राज्य के बाहर लिव-इन रिलेशनशिप में हैं." रजिस्ट्रेशन न कराने पर कपल को छह महीने की जेल हो सकती है. इसके साथ ही 25 हजार का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स को अपने रहने की स्थिति की जानकारी नजदीकी रजिस्ट्रार को प्रस्तुत करना होगा जो विवरण की सामग्री की जांच करेगा. पूछताछ के दौरान, रजिस्ट्रार सत्यापन के लिए जोड़े को बुला सकताे है.

'रजिस्ट्रेशन के लिए तैयार की जा रही है वेबसाइट'

एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि लिव-इन रिलेशनशिप के रजिस्‍ट्रेशन के लिए एक वेबसाइट तैयार की जा रही है, जिसे जिला रजिस्ट्रार से सत्यापित किया जाएगा, जो रिश्ते की वैधता स्थापित करने के लिए "जांच" करेगा. ऐसा करने के लिए, वह किसी एक या दोनों साझेदारों या किसी अन्य को मिलने के लिए बुला सकता है. इसके बाद जिला रजिस्ट्रार तय करेगा कि किसी जोड़े को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने की इजाजत दी जाए कि नहीं.

बच्चों को मिलेगी कानूनी मान्यता 

समान नागरिक संहिता में लिव-इन रिलेशनशिप पर अन्य प्रमुख बिंदुओं में यह है कि लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चों को कानूनी मान्यता मिलेगी यानी, वे "दंपति की वैध संतान होंगे". इसका मतलब है कि लिव-इन रिलेशनशिप के दौरान पैदा हुए सभी बच्चों को वे अधिकार मिलेंगे, जो शादी के बाद हुए बच्‍चों को मिलते हैं. किसी भी बच्चे को 'नाजायज' के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकेगा."

इसके अलावा, "सभी बच्चों को माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार होगा", एक अधिकारी ने यूसीसी की भाषा पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, जो "बच्चे" को संदर्भित करता है न कि "बेटे" या "बेटी" को. यानि बच्‍चा बेटा हो या बेटी दोनों को समान अधिकार मिलेंगे. यूसीसी ड्राफ्ट में यह भी कहा गया है कि अपने लिव-इन पार्टनर द्वारा छोड़ी गई महिला भरण-पोषण का दावा कर सकती है. 

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06 February 2024, 04:34 PM IST

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