मणिपुर में मुक्त आंदोलन के पहले दिन हिंसा, प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों में झड़प
मणिपुर में कुकी जनजातियों के विरोध प्रदर्शन के बीच शनिवार को सरकारी बसों का संचालन हुआ. लेकिन आवागमन के पहले दिन ही हिंसा भड़क उठी. पिछले हफ्ते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के विशेष निर्देश के बाद शुरू हुई मैतेई और कुकी बहुल क्षेत्रों के बीच लोगों की मुक्त आवाजाही शुरू हुई है. राज्य में 22 महीनों से जातीय संघर्ष चल रहा है , जिसमें 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं.

मणिपुर में कुकी जनजातियों के विरोध प्रदर्शन के बीच शनिवार को सरकारी बसों का संचालन हुआ. लेकिन आवागमन के पहले दिन ही हिंसा भड़क उठी. इस बीच अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को इंफाल से सेनापति होते हुए कांगपोकपी जिले और इंफाल से चुराचांदपुर होते हुए बिष्णुपुर सहित प्रमुख मार्गों पर बस सेवाएं फिर से शुरू हो गईं हैं.
22 महीनों से चल रहा जातीय संघर्ष
पिछले सप्ताह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के विशेष निर्देश के बाद शुरू हुई मैतेई और कुकी बहुल क्षेत्रों के बीच लोगों की मुक्त आवाजाही शुरू हुई है. सुरक्षा बलों ने मणिपुर पुलिस के साथ समन्वय करके राज्य में कानून और व्यवस्था बनाए रखते हुए लोगों की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं. राज्य में 22 महीनों से जातीय संघर्ष चल रहा है , जिसमें 250 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं.
Pretences shed! The knives are out! As Kukis oppose free movement within Manipur but roots for FMR across the Indo-Myanmar border. Will the Centre bow before Kuki aggression? Peace, a synonym for chaos!#SaveMeiteis #SaveManipur #ManipurCrisis #ManipurFightsBack… https://t.co/vbLphkQbPi pic.twitter.com/UVNfaYYWMN
— Sauvik Raha (@SauvikRaha) March 8, 2025
महिलाओं ने की सड़क जाम
रिपोर्ट के अनुसार, इंफाल से 45 किलोमीटर दूर कांगपोकपी जिले में बैरिकेटिंग को तोड़ते हुए बारूदी सुरंग रोधी वाहन आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. हाइवे को बंद करने की कोशिश कर रही कुकी जनजाति की कई महिलाएं सुरक्षा बलों के लाठीचार्ज में घायल हो गईं. केंद्र ने घोषणा की है कि राष्ट्रपति शासन के तहत राज्य में आज से कहीं भी सड़क बंद नहीं होगी.
मणिपुर में कुकी बहुल कई इलाकों से झड़पों की खबरें आई हैं. स्थानीय लोगों द्वारा शेयर किए गए वीडियो में प्रदर्शनकारियों को वाहनों पर पत्थर फेंकते, सड़कें खोदते, टायर जलाते और बैरिकेड लगाते हुए देखा जा सकता है. कुछ लोगों ने सुरक्षा बलों पर अपशब्दों का इस्तेमाल किया और उन्हें वापस जाने के लिए चिल्लाया.
अब तक 250 से ज्यादा लोगों की मौत
घाटी में प्रमुख मैतेई समुदाय और एक दर्जन से ज़्यादा अलग-अलग जनजातियां जिन्हें सामूहिक रूप से कुकी के नाम से जाना जाता है, जो मणिपुर के कुछ पहाड़ी इलाकों में प्रमुख हैं, मई 2023 से भूमि अधिकार और राजनीतिक प्रतिनिधित्व जैसे कई मुद्दों पर लड़ रही हैं. हिंसा में 250 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और लगभग 50,000 लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं.
केंद्र सरकार के साथ हुआ समझौता
कुकी नेताओं, लगभग दो दर्जन उग्रवादी समूहों ने कार्रवाई स्थगन (एसओओ) समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, तथा उनके अग्रणी नागरिक संगठनों ने मांग की है कि केंद्र सरकार समुदायों को मणिपुर में स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति देने से पहले उन्हें एक अलग प्रशासन दे.
मैतेई संगठनों ने सवाल उठाया है कि राहत शिविरों में रह रहे हजारों आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को कुकी जनजातियों द्वारा घर लौटने और अपना जीवन फिर से शुरू करने से क्यों धमकाया जा रहा है, जबकि इसके साथ-साथ बातचीत भी चल सकती है.