Rajasthan Assembly Election 2023 : राजस्थान में चुनावी शोर थम चुका है और कल यानी शनिवार को यहां मतदान होगा. प्रदेश की 200 में से कुल 199 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है. एक सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की मृत्यु के चलते चुनाव टाल दिया गया है. आज हम आपको 2003 से लेकर अब तक के चुनावी हार जीत के साथ ही मतदान प्रतिशत, महिला विधायकों के आंकड़ों समते कई तरह का चुनावी गणित बताएंगे. 2023 के विधानसभा चुनाव में अबकी बार राजस्थान में चुनाव में कौन से बड़े मुद्दे हैं और राज्य में चुनाव लड़ने वाली तीन छोटी पार्टियां किस पार्टी का खेल बिगाड़ सकती हैं इसके बारे में समझेंगे. अबकी बार राज्य में 1861 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इसके भाग्य का फैसला 5 करोड़ 29 लाख 31 हजार मतदाता करेंगे.
राजस्थान में क्या हैं बड़े चुनावी मुद्दे
राजस्थान के चुनावों में विवादित बयान हाल ही में चुनावी मुद्दा बन गया है. राहुल गांधी का पनौती और जबकतरा वाला बयान और असम के सीएम हिमंता विस्वा सरमा के द्वारा गहलोत और सचिन पायलट को निकम्मा बताना मुद्दा है. इसके अलावा लाल डायरी व भ्रष्टाचार का मुद्दा, ओपीएस व दूसरी कल्याणकारी योजनाएं मुद्दा हैं. ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का लाभ गहलोत को मिल सकता है. पेपर लीक के मामले, कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा, कृषि ऋण माफी मुद्दा, सांप्रदायिक तुष्टिकरण हिंदुत्व, कन्हैया लाल टेलर का मामला चुनावी मुद्दा है.
राजस्थान में राजपूत वोट और बीजेपी का राजघरानों से प्यार
राजस्थान में राजपूतों की आबादी 10 प्रतिशत. 30 से ज्यादा सीटों पर प्रभाव है. मेवाड़ और मारवाड़ क्षेत्र की अधिक सीटों पर इनका असर है. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने राजपूतों को 26 सीटें दीं जिसमें सिर्फ 10 पर जीत मिली. कांग्रेस ने राजपूतों को 15 सीटें दीं और उनमें से 7 पर जीत मिली थी.
तीन छोटी पार्टियां जेजेपी, आरएलपी, एएसपी किसका खेल बिगाड़ेगी?
राजस्थान के चुनाव में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी(RLP), आजाद समाज पार्टी(ASP) और जननायक जनता पार्टी (jjp) जैसी छोटी पार्टियां भी मैदान में हैं. ये तीन छोटी राजस्थान में इस बार बीजेपी और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ने पर तुली नजर आ रही हैं. हनुमान बेनीवाल की RLP और चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी के गठबंधन ने दोनों प्रमुख दलों की टेंशन बढ़ा दी है. jjp भी जाट वोट में सेंध लगाने की कवायद में है.
किस तरह सत्ता का समीकरण बदल सकते हैं ये दल?
राजस्थान विधानसभा की 200 में से 20 सीटें ऐसी थीं जहां हार-जीत का अंतर 1से 5 हजार वोट के बीच का था. 2018 में 9 सीटों पर हार-जीत का फासला 1 हजार से भी कम का वोट का रहा है. इनमें से करीब दर्जन भर सीटों पर बेनीवाल की पार्टी को हार-जीत के अंतर से अधिक वोट मिले थे.
तीनों पार्टियों का प्रमुख प्रभाव क्षेत्र
हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी का जाटलैंड में अच्छा प्रभाव है. नागौर, सीकर, झुंझुनू, भरतपुर समेत करीब दर्जनभर जिलों में जाट मतदाताओं की बहुलता है. बेनीवाल नागौर से सांसद हैं और जाटलैंड की ही खींवसर सीट से चुनाव मैदान में हैं. जेजेपी की नजर भी जाटलैंड पर ही है. जाटलैंड में दोनों जाट पार्टियों के बीच जाट वोट की लड़ाई है तो वहीं दलित बाहुल्य मारवाड़ इलाके की सीटों पर एएसपी की नजर है.
छोटी पार्टियां किन मुद्दों पर चुनाव लड़ रही हैं?
- आरएलपी राजस्थान चुनाव में जाट सीएम का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है. करीब दो दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
- जेजेपी जाट समुदाय की समस्याओं और विकास को मुद्दा बना रही है. छोटे दल जाट-दलित की उपेक्षा का मुद्दा भी उठा रहे हैं.
First Updated : Friday, 24 November 2023