Waqf Amendment Bill In Rajya Sabha: राज्यसभा में पास हुआ वक्फ संशोधन बिल, 128-95 मतों से पारित
Waqf Amendment Bill In Rajya Sabha: राज्यसभा ने शुक्रवार को वक्फ संशोधन बिल, 2025 को पास कर दिया. बिल को 128-95 मतों से पारित किया गया. विधेयक पर 12 घंटे से अधिक बहस चली, जिसके बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा गया है. गुरुवार को लोकसभा में भी इस विधेयक पर लंबी बहस हुई थी.

Waqf Amendment Bill In Rajya Sabha: राज्यसभा ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया. यह विधेयक 12 घंटे से अधिक चली लंबी और गर्मागर्म बहस के बाद पारित हुआ. इसमें विधेयक के पक्ष में 128 वोट पड़े जबकि इसके विरोध में 95 सांसदों ने मतदान किया. इससे पहले, लोकसभा में भी यह विधेयक बहस के बाद पारित किया जा चुका है. अब यह विधेयक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. उनकी सहमति मिलने के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा. इस पूरे घटनाक्रम के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखी गई, जिसमें कई आरोप-प्रत्यारोप भी सामने आए.
गुरुवार को लोकसभा में भी इस विधेयक पर लंबी बहस हुई थी. वहां विधेयक को 288 सांसदों के समर्थन और 232 के विरोध के साथ पारित किया गया था. संसद के दोनों सदनों में इस विधेयक ने सत्ताधारी एनडीए और विपक्षी इंडिया गठबंधन के बीच खींचतान को उजागर किया.
किरेन रिजिजू ने रखा सरकार का पक्ष
राज्यसभा में बहस के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक विभिन्न हितधारकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है. उन्होंने कहा, "वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और हर सरकारी संस्था को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए." रिजिजू ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की भागीदारी पर जोर देते हुए बताया कि 22 सदस्यों में से केवल 4 गैर-मुस्लिम होंगे. उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा, "भाजपा नहीं, बल्कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मुसलमानों को डराने का प्रयास कर रहे हैं."
मुसलमानों की स्थिति पर कांग्रेस को घेरा
किरेन रिजिजू ने कहा, "आप (विपक्ष) मुसलमानों को मुख्यधारा से अलग कर रहे हैं. 60 वर्षों तक कांग्रेस और अन्य दलों ने देश पर शासन किया, लेकिन मुसलमानों के लिए कुछ खास नहीं किया. आज भी समुदाय गरीबी में जी रहा है." उन्होंने कहा कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार उनके उत्थान के लिए काम कर रही है.
विधेयक के मुख्य प्रावधान
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वक्फ न्यायाधिकरणों को सशक्त किया जाएगा और उनके कार्यकाल को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाएगा.
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वक्फ बोर्डों में अनिवार्य अंशदान 7% से घटाकर 5% कर दिया गया है.
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एक लाख रुपये से अधिक आय वाली वक्फ संस्थाओं का लेखा परीक्षण राज्य सरकार द्वारा नियुक्त लेखा परीक्षकों से होगा.
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केंद्रीकृत पोर्टल की स्थापना कर वक्फ संपत्ति प्रबंधन को स्वचालित और पारदर्शी बनाया जाएगा.
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2013 से पहले का प्रावधान बहाल करते हुए यह अनुमति दी गई है कि धार्मिक आस्था रखने वाले मुसलमान (कम से कम पांच वर्ष तक) अपनी संपत्ति वक्फ को समर्पित कर सकें.
महिलाओं और वंचित वर्गों को मिलेगा अधिकार
विधेयक में यह प्रावधान है कि महिलाएं वक्फ घोषणा से पहले अपनी विरासत प्राप्त कर सकेंगी. साथ ही, विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए विशेष प्रावधान जोड़े गए हैं.
सरकारी संपत्ति पर वक्फ दावे की जांच का प्रावधान
सरकारी संपत्तियों पर किए गए वक्फ दावों की जांच कलेक्टर स्तर से ऊपर के अधिकारी द्वारा की जाएगी. साथ ही समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को भी शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है.