वक्फ संशोधन कानून पर कानूनी जंग आज, 6 BJP शासित राज्य करेंगे बचाव

Waqf Amendment Act Supreme Court hearing: वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. छह भाजपा शासित राज्यों ने इस कानून के समर्थन में अदालत में पक्ष रखने का फैसला किया है.

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Waqf Amendment Act Supreme Court hearing: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर देश की शीर्ष अदालत में आज एक अहम सुनवाई होने जा रही है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल हैं, बुधवार को इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली लगभग 10 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. यह मामला राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण बन गया है.

हाल ही में लागू हुए वक्फ संशोधन कानून के विरोध में विभिन्न राज्यों में विरोध-प्रदर्शन देखने को मिले हैं. खासतौर पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में इस कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई. इन घटनाओं की पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई को बेहद अहम माना जा रहा है.

क्या है वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025?

वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को 8 अप्रैल को केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद लागू कर दिया गया. यह विधेयक मार्च में संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को इसे मंजूरी दी. हालांकि, इस कानून को विपक्षी दलों ने "संविधान विरोधी" और "मुस्लिम विरोधी" करार दिया है. वहीं, केंद्र सरकार ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय के हित में एक "ऐतिहासिक सुधार" बताया है.

संसद में कैसे पास हुआ बिल?

लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक को 288 में से 232 मतों से पारित किया गया, जबकि राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और विरोध में 95 मत पड़े. बहस के दौरान विपक्ष ने कड़े तेवर दिखाए, लेकिन सरकार ने विधेयक को पारित कराने में सफलता पाई.

सुप्रीम कोर्ट में कौन-कौन दे रहा है चुनौती?

इस कानून को चुनौती देने वालों में कांग्रेस, डीएमके, सीपीआई, आम आदमी पार्टी, वाईएसआरसीपी, अभिनेता विजय की पार्टी तमिळगा वेत्त्री कळगम और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे कई राजनीतिक दल और संगठन शामिल हैं.

AIMIM प्रमुख ओवैसी की दलील

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इस कानून को चुनौती दी है. उन्होंने तर्क दिया कि यह कानून "मुसलमानों और मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का खुला उल्लंघन" करता है.

तमिलनाडु सरकार की आपत्ति

तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया कि यह कानून राज्य के 50 लाख मुसलमानों और देशभर के 20 करोड़ मुस्लिम नागरिकों के अधिकारों का हनन करता है. इससे पहले तमिलनाडु विधानसभा ने केंद्र सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग करते हुए प्रस्ताव भी पारित किया था.

भाजपा शासित राज्य कानून के समर्थन में

राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पक्षकार बनने की अनुमति मांगी है. उन्होंने कानून को पारदर्शी और संविधान सम्मत करार दिया है. इसी तरह उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने भी अदालत में अर्जी दाखिल कर AIMIM सांसद ओवैसी की याचिका में हस्तक्षेप की अनुमति मांगी है.

केंद्र का रुख

केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य "पुरानी गलतियों" को सुधारना है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने मंगलवार को कहा कि अब किसी को भी भारत में किसी की जमीन "बलपूर्वक और एकतरफा" तरीके से कब्जाने का अधिकार नहीं होना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पूर्ववर्ती कानून वक्फ बोर्ड को "अत्यधिक शक्तियां" प्रदान करता था, जिसे संतुलित करना जरूरी था.

सुप्रीम कोर्ट की पूर्व टिप्पणी

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि न तो उच्च न्यायालय और न ही सुप्रीम कोर्ट संसद को किसी विशेष तरीके से कानून बनाने का निर्देश दे सकता है. फरवरी 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को लेकर हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति बीआर गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, "संसद ने हर पहलू पर विचार कर नया कानून बनाया है. रिट क्षेत्राधिकार में न्यायालय संसद को निर्देश नहीं दे सकता."

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16 April 2025, 08:40 AM IST

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