Wakf Amendment Bill 2024: मोदी सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया. इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना और उनकी बेहतर देखरेख सुनिश्चित करना है. इसके तहत वक्फ संपत्तियों के दस्तावेजों का सत्यापन अनिवार्य किया जाएगा, ताकि केवल वैध संपत्तियां ही वक्फ के अंतर्गत आ सकें. इसके लिए अब लाखों हिंदू मेल लिख रहे हैं. वहीं एक पक्ष इसका विरोध भी कर रहा है. आइये जानें इस बोर्ड और बिल के बारे में सबकुछ.
भाजपा सरकार द्वारा लाया गया यह संशोधन विवादास्पद बन गया है. कई मुस्लिम संगठनों ने इसे धार्मिक अधिकारों पर हमले के रूप में देखा है. वहीं, समर्थकों का कहना है कि वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह कदम जरूरी है.
अगर वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो जाता है, तो इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में कई अहम बदलाव आ सकते हैं। वक्फ संपत्तियों के व्यावसायिक उपयोग पर सख्त नियंत्रण लगेगा और उन्हें पट्टे पर देने की प्रक्रिया पारदर्शी बनाई जाएगी। साथ ही, वक्फ बोर्डों में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए अधिक निगरानी व्यवस्था लागू की जाएगी.
भारत में वक्फ की अवधारणा हमेशा से कानूनी और सामाजिक बहस का हिस्सा रही है. इस्लामी कानून के तहत, वक्फ उन संपत्तियों को संदर्भित करता है, जिन्हें धार्मिक या समाज सेवा के उद्देश्यों के लिए समर्पित किया जाता है. एक बार वक्फ के रूप में संपत्ति को नामित कर दिया जाता है, तो उसे बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है. यह संपत्ति हमेशा के लिए धर्मार्थ ट्रस्ट में रहती है.
वक्फ की अवधारणा भारत में दिल्ली सल्तनत के समय से शुरू हुई, जब सुल्तानों ने मस्जिदों और अन्य धार्मिक संस्थानों के लिए भूमि समर्पित की. ब्रिटिश काल में वक्फ को कानूनी मान्यता मिली, और 1913 के मुसलमान वक्फ वैधीकरण अधिनियम ने वक्फ संस्थाओं को वैध ठहराया. तब से वक्फ संपत्तियों का लगातार विस्तार होता गया, जो आज तक जारी है.
वक्फ संपत्तियों पर दावा अक्सर विवादों में रहता है. देशभर में हजारों संपत्तियां वक्फ के रूप में पंजीकृत हैं, जिनमें से कई बिना उचित दस्तावेजों के नामित हैं। कई मामलों में, लोगों की निजी संपत्तियों को उनकी जानकारी या सहमति के बिना वक्फ के रूप में दर्ज किया गया है, जिससे कानूनी विवाद उत्पन्न हो रहे हैं. यह विवाद वर्षों से बढ़ता गया है, जिससे वक्फ के दुरुपयोग और भूमि हड़पने के आरोप सामने आ रहे हैं.
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर कांग्रेस पर भी आरोप लगे हैं. कहा जाता है कि विभाजन के बाद कई खाली पड़ी संपत्तियों को वक्फ के तहत लाया गया, जिससे कांग्रेस की वोट बैंक राजनीति पर सवाल उठे हैं. इन संपत्तियों को अल्पसंख्यक समुदायों को खुश करने के लिए वक्फ में तब्दील किया गया, जबकि इससे अन्य समुदायों के अधिकारों की अनदेखी हुई.
वक्फ बोर्डों में महिलाओं, आगा खानी और बोहरा समुदायों की भागीदारी को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं. इन समुदायों को वक्फ प्रबंधन में निर्णय लेने की प्रक्रिया से बाहर रखा गया है, जो इसे और विवादास्पद बनाता है.
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके दुरुपयोग को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. हालांकि, इसके विरोध और समर्थन में कई विचार हैं, लेकिन मोदी सरकार की यह कोशिश पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के साथ-साथ धार्मिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण है. First Updated : Wednesday, 18 September 2024