अजमेर शरीफ में वक्फ विधेयक पर विवाद: क्या यह धर्म और राजनीति की बीच की खाई को और गहरा करेगा?
अजमेर शरीफ दरगाह में वक्फ विधेयक को लेकर खादिमों के बीच घमासान मच गया है. कुछ खादिम इसे सुधारात्मक कदम मान रहे हैं तो कुछ इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताते हुए विरोध कर रहे हैं. सलमान चिश्ती और सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने विधेयक का समर्थन किया, वहीं अंजुमन समिति ने इसका विरोध किया है. BJP से कथित संबंधों को लेकर आरोप भी लग रहे हैं. क्या यह विधेयक वक्फ प्रबंधन में बदलाव ला पाएगा या धार्मिक विवाद और बढ़ाएगा? पूरी खबर जानने के लिए पढ़ें!

Waqf Amendment Bill: अजमेर शरीफ दरगाह में खादिमों के संगठन में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. बुधवार को लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा होनी है और इससे पहले ही अजमेर दरगाह की खादिम समिति में दो धड़े बन गए हैं. एक तरफ कुछ खादिम इसे ‘प्रगतिशील’ और ‘व्यावहारिक’ बता रहे हैं तो दूसरी ओर कुछ खादिमों ने इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया है. इस विवाद ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है और इसमें भाजपा से संबंध जोड़ने के आरोप भी लगाए जा रहे हैं.
विधेयक का समर्थन और आलोचना: खादिमों के दो पक्ष
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर अजमेर दरगाह के खादिमों में घमासान मचा हुआ है. खादिम सलमान चिश्ती ने इस विधेयक को 'प्रगतिशील' बताते हुए इसका समर्थन किया है और कहा है कि यह वक्फ प्रबंधन में सुधार ला सकता है. उन्होंने वक्फ समिति के कुप्रबंधन को लेकर भी अपनी चिंता जताई. उनके इस लेख के बाद विवाद बढ़ा, खासकर जब केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे 'व्यावहारिक' बताया और समर्थन किया.
वहीं, अजमेर शरीफ अंजुमन समिति ने सलमान चिश्ती और उनके समर्थकों की आलोचना की है. समिति के सचिव सरवर चिश्ती ने सलमान चिश्ती पर आरोप लगाया कि वह खुद को 'दरगाह प्रमुख' के रूप में पेश कर रहे हैं, जबकि वह दरगाह के खादिम ही हैं. सरवर चिश्ती ने कहा, 'सलमान चिश्ती ने छोटे लाभ के लिए विधेयक का समर्थन किया है और इसे गलत तरीके से पेश किया है.'
राजनीतिक आरोप और विवाद का विस्तार
यह विवाद केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक भी बन गया है. सलमान चिश्ती और सैयद नसरुद्दीन चिश्ती पर भाजपा और दक्षिणपंथी संगठनों से संबंध होने का आरोप लगाया गया है. सरवर चिश्ती ने कहा कि सलमान और नसरुद्दीन दोनों भाजपा और अन्य मुस्लिम विरोधी कार्यों में शामिल रहे हैं. उनका कहना है कि ये लोग CAA, NRC और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों में भी भाजपा का समर्थन कर चुके हैं और अब वक्फ विधेयक के समर्थन के पीछे भी एक छिपा हुआ राजनीतिक एजेंडा हो सकता है.
विधेयक पर क्या है दरगाह की अंजुमन समिति का रुख?
अजमेर दरगाह की अंजुमन समिति ने विधेयक की आलोचना करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें दरगाह के खादिमों का आधिकारिक प्रतिनिधि निकाय होने के नाते इस विधेयक के खिलाफ अपनी स्थिति साफ की है. समिति ने सलमान चिश्ती की आलोचना करते हुए कहा है कि वह अपनी व्यक्तिगत राय देने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन उन्हें दरगाह प्रमुख के रूप में पेश नहीं किया जा सकता.
क्या है वक्फ संशोधन विधेयक?
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का मुख्य उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार करना और वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाना है. इसमें वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण को सही तरीके से लागू करने का प्रावधान है. हालांकि, इस विधेयक पर धार्मिक और राजनीतिक विवाद बढ़ गए हैं, जिससे मुस्लिम समुदाय के विभिन्न तबकों में चिंता और असहमति पैदा हो गई है.
नतीजा क्या होगा?
अजमेर शरीफ दरगाह में इस विधेयक को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ है, वह न सिर्फ धार्मिक समुदायों के बीच, बल्कि राजनीतिक दलों के बीच भी गंभीर बहस का कारण बन चुका है. क्या यह विधेयक वक्फ प्रबंधन को सुधारने में मदद करेगा या यह मुस्लिम समुदाय के लिए और मुश्किलें पैदा करेगा? आने वाले दिनों में इस पर संसद में चर्चा और बहस से स्थिति और स्पष्ट हो सकती है, लेकिन फिलहाल अजमेर शरीफ में यह विवाद तेज हो गया है, और इसके परिणामों पर सबकी नजरें टिकी हैं.