Waqf Bill बना NDA सहयोगियों की अग्निपरीक्षा, मुस्लिम वोट बैंक में सेंध का खतरा
Waqf properties को लेकर केंद्र सरकार के प्रस्तावित संशोधन बिल पर समर्थन के बाद अब इसके Political side effects सामने आने लगे हैं. RLD और JDU जैसे सहयोगी दलों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है, खासकर Muslim vote bank में नाराज़गी देखने को मिल रही है. कई मुस्लिम संगठनों और नेताओं ने इस कदम की आलोचना की है, जिससे इन पार्टियों की छवि और समर्थन आधार पर असर पड़ सकता है.

नई दिल्ली. Wakf Amendment Bill अब कानून बनने की कगार पर है. Lok Sabha के बाद Rajya Sabha से भी मंजूरी मिल गई है. अब राष्ट्रपति की मुहर लगते ही यह विधेयक कानून बन जाएगा. muslim community से जुड़ा होने के कारण इस विधेयक को पास कराना मोदी सरकार के लिए आसान नहीं था, लेकिन एनडीए के सहयोगियों की मदद से यह मुमकिन हो पाया. विधेयक को पारित कराने में जेडीयू, टीडीपी, आरएलडी और एलजेपी का खास योगदान रहा. यदि बीजेपी को इन सहयोगियों का साथ न मिला होता तो संसद में बहुमत जुटाना मुश्किल हो सकता था. पर इसके राजनीतिक परिणाम अब सामने आने लगे हैं, विशेषकर जेडीयू और आरएलडी जैसे दलों के लिए.
मुस्लिम नेताओं में असंतोष
वक्फ विधेयक के समर्थन से मुस्लिम राजनीति में उबाल आ गया है. जेडीयू के कई मुस्लिम नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है. इन नेताओं का आरोप है कि पार्टी ने मुस्लिमों के भरोसे को तोड़ा है. पूर्व एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी ने इस विधेयक को मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताया और कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही.
ओवैसी और कांग्रेस का हमला
\AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नीतीश कुमार, चिराग पासवान, जयंत चौधरी और चंद्रबाबू नायडू को सीधे निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि इन नेताओं ने मुस्लिम विरोधी बिल का समर्थन कर शरीयत पर हमला किया है. वहीं कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने राज्यसभा में इन सभी को ‘मुस्लिम विरोधी कठघरे’ में खड़ा किया.
मुस्लिम वोट बैंक पर खतरा
बीजेपी को मुस्लिम वोटों की चिंता नहीं होती, लेकिन उसके सहयोगी दलों को इन वोटों की सख्त जरूरत रहती है. बिहार, यूपी और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में मुस्लिम आबादी निर्णायक भूमिका निभाती है. अब इन दलों के लिए मुस्लिम नाराजगी भारी पड़ सकती है.
आगामी बिहार चुनाव में असर
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए जेडीयू और एलजेपी की चिंता बढ़ गई है. विपक्षी दल इस मुद्दे को भुनाने में जुट गए हैं. ओवैसी भी बिहार में अपने अभियान को धार दे रहे हैं और वक्फ विधेयक को चुनावी हथियार बना रहे हैं.
दबाव में एनडीए के सहयोगी
वक्फ बिल को लेकर Muslim organizations ने रमज़ान में NDA allies की इफ्तार पार्टी का भी Boycott कर दिया है. अब देखना यह है कि Nitish Kumar, Chirag Paswan, जयंत चौधरी और चंद्रबाबू नायडू मुस्लिम नाराजगी को कैसे संभालते हैं और क्या फिर से विश्वास बहाल कर पाते हैं?