वाराणसी के 115 साल पुराने कॉलेज पर वक्फ बोर्ड ने ठोका दावा, छात्रों में आक्रोश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में स्थित उदय प्रताप कॉलेज पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा ठोका है. इसके बाद छात्रों में गुस्सा है. वाराणसी के भोजूबीर क्षेत्र में उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना महाराजा राजर्षि सिंह जू देव द्वारा 1909 में की गई थी.
एक तरफ देश में वक्फ संशोधन बिल को लेकर चर्चा हो रही है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में 500 एकड़ में फैले उदय प्रताप कॉलेज की जमीन पर यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा ठोका है. इसके बाद से कॉलेज के मौजूदा और पुराने छात्रों में गुस्सा है.कॉलेज परिसर में यूपी डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज, रानी मुरार बालिका, राजर्षि शिशु विहार, राजर्षि पब्लिक स्कूल वगैरह चलते हैं. यहां करीब 20 हजार छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं। यह संस्थान करीब 115 साल पुराना है.
वक्फ बोर्ड द्वारा उदय प्रताप कॉलेज की जमीन पर मालिकाना हक जताते हुए नोटिस जारी किया गया है. इस नोटिस में कॉलेज की संपत्ति को सुन्नी बोर्ड से अटैच होने की बात कही गई है. इसमें कहा गया है कि वसीम अहमद निवासी भोजूबीर तहसील सदर, वाराणसी ने कहा है कि ग्राम छोटी मसजिद नवाब टोक मजारात हुजरा उदय प्रताप कालेज भोजूबीर की संपत्ति कॉलेज के नियंत्रण में है. इसे सुन्नी बोर्ड कार्यालय में पंजीकृत कराया जाए। इस संबंध में 15 दिनों के अंदर जवाब दें नहीं तो आपकी कोई आपत्ति नहीं सुनी जाएगी.
1909 में बनाया गया था कॉलेज
वाराणसी के भोजूबीर क्षेत्र में उदय प्रताप कॉलेज की स्थापना महाराजा राजर्षि सिंह जू देव द्वारा 1909 में की गई थी. यहां के परिसर में उदय प्रताप इंटर कॉलेज, रानी मुरार बालिका इंटर कॉलेज, उदय प्रताप पब्लिक स्कूल, मैनेजमेंट कॉलेज, साथ ही उदय प्रताप स्वायत्तशासी कॉलेज संचालित किया जाता है. सभी को मिलाकर कुल 15 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं यहां अध्ययन करते हैं. कालेज़ परिसर में प्रवेश करते ही तकरीबन 100 मीटर की दूरी पर एक मस्जिद भी स्थित है जिस पर आसपास के लोग नमाज अदा करने जाते हैं.
साल 2018 में भोजूबीर के रहने वाले वसीम अहमद नामक एक व्यक्ति द्वारा लखनऊ स्थित वक्फ बोर्ड कार्यालय में एक आवेदन दाखिल किया गया था जिसमें उन्होंने कॉलेज की संपत्ति को वक्फ की प्रॉपर्टी बताया था. इस आवेदन के आधार पर सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा 2018 में उदय प्रताप कॉलेज प्रबंधन को एक नोटिस जारी किया गया था. इस नोटिस का जवाब देते हुए कालेज प्रबंधन द्वारा कहा गया कि मस्जिद अवैध तरीके से बनी है. मस्जिद का कोई कागजात नहीं है, जबकि कॉलेज की संपत्ति इंडाउमेंट ट्रस्ट की है जो जमीन न खरीदी जा सकती है नाही बेची जा सकती है. ऐसे में यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है.
'यह जमीन एंडाउमेंट ट्रस्ट की है'
इस पूरे मामले पर उदय प्रताप कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. डीके सिंह ने बताया कि यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से यूपी कॉलेज में मौजूद एक मजार की तरफ से एक नोटिस भिजवाई गई थी कि यूपी कॉलेज की जमीन यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की है, जिसपर तत्कालीन सचिव ने जवाब भी भेज दिया था कि यह जमीन एंडाउमेंट ट्रस्ट की है. न तो जमीन खरीदी जा सकती है और न ही बेची जा सकती है और किसी भी प्रकार का मालिकाना हक भी है तो समाप्त हो जाता है. यह किसी अवांछनीय तत्व की हरकत है जो इस जमीन को यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की जमीन बता रहा है.
डीके सिंह ने बताया कि जवाब दे देने के बाद से ही बोर्ड की तरफ से किसी भी तरह का आगे पत्र व्यवहार नहीं किया गया था. लेकिन इधर बीच वे कुछ निर्माण कार्य मस्जिद में कराना चाहते थे, जिसपर हमने एक्शन लिया और निर्माण सामग्री भी पुलिस के सहयोग से हटवा दी था. उन्होंने बताया कि 2022 में पुलिस को भी सूचित कर दिया था कि कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो सकता है. प्रिंसिपल प्रो. डीके सिंह ने बताया कि मजार की बिजली भी कटवा दी क्योंकि मजार पर बिजली कॉलेज से ही अवैध रूप से चोरी करके जलाई जाती थी. उन्होंने बताया कि बोर्ड ने उस वक्त नोटिस भेजकर प्रयास किया था, लेकिन तत्कालीन प्राचार्य और सचिव ने सक्रियता से इसका जवाब दिया था.