सुप्रीम कोर्ट में आज वक्फ कानून पर बड़ी सुनवाई: नए कानून को रद्द करने की उठी मांग, 20 से ज्यादा याचिकाएं दायर
वक्फ कानून 2025 पर बवाल मचा हुआ है जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज बड़ी सुनवाई होगी! 20 से ज्यादा याचिकाएं, कई बड़े नेता और संगठन आमने-सामने होंगे. किसी ने कहा कानून भेदभाव वाला है तो किसी ने पूरे वक्फ एक्ट को ही रद्द करने की मांग कर डाली. सरकार भी कोर्ट में अपनी बात रखने को तैयार है. किसकी मांग सही है? जानने के लिए पूरी खबर पढ़े....

Waqf Law 2025: वक्फ कानून को लेकर देश में एक नया विवाद उठ खड़ा हुआ है. बुधवार, यानी आज, सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर अहम सुनवाई हो रही है. इस मामले में देशभर से 20 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें इस संशोधित कानून को पूरी तरह से असंवैधानिक बताकर रद्द करने की मांग की गई है.
सुनवाई प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, जज पीवी संजय कुमार और जज केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ कर रही है. खास बात यह है कि इस कानून के खिलाफ कई बड़े राजनीतिक और धार्मिक नेता सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं.
कानून के विरोध में कौन-कौन सामने आया?
इस कानून के विरोध में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के सांसद मोहम्मद जावेद और इमरान प्रतापगढ़ी, दारुल उलूम के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, एपीसीआर (नागरिक अधिकार संरक्षण संघ), समाजवादी नेता और सांसद मनोज झा, डीएमके सांसद ए. राजा, आम आदमी पार्टी के अमानतुल्ला खान और टीएमसी की महुआ मोइत्रा सहित कई लोगों और संगठनों ने याचिकाएं दायर की हैं.
इन सबका कहना है कि नया वक्फ संशोधन कानून 2025 संविधान में मिले समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करता है. साथ ही, इसमें केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने का जो प्रावधान है, उसका भी विरोध हो रहा है.
कुछ याचिकाएं 1995 के वक्फ एक्ट को भी कर रही हैं चैलेंज
सिर्फ वक्फ संशोधन कानून 2025 ही नहीं, बल्कि दो याचिकाओं में तो पुराने वक्फ अधिनियम 1995 को भी असंवैधानिक बताया गया है. सुप्रीम कोर्ट के वकील हरिशंकर जैन और उत्तर प्रदेश की पारुल खेड़ा ने याचिका में कहा है कि यह कानून हिंदू और गैर-मुस्लिमों के साथ भेदभाव करता है. इनकी मांग है कि कोर्ट यह साफ करे कि वक्फ कानून के तहत कोई भी आदेश, अधिसूचना या निर्देश हिंदू या गैर-मुस्लिमों की संपत्ति पर लागू न हों.
सरकार भी हुई सतर्क, कैविएट दाखिल किया
केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किया है ताकि कोर्ट किसी एकतरफा आदेश को पास न करे. सरकार चाहती है कि सुनवाई से पहले उसका पक्ष भी सुना जाए.
कुछ राज्य कर रहे हैं समर्थन भी
जहां एक ओर देशभर में वक्फ कानून को लेकर विरोध हो रहा है, वहीं सात राज्य सरकारें इस कानून के समर्थन में भी आ गई हैं. इनमें राजस्थान, हरियाणा, मध्य प्रदेश, असम, उत्तराखंड, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ शामिल हैं. इन राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल कर नए कानून को सही ठहराया है.
आज की सुनवाई क्यों है अहम?
आज की सुनवाई इसलिए बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि कुछ याचिकाओं में वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है. अगर कोर्ट अंतरिम आदेश पारित करता है, तो इसका सीधा असर कानून के अमल पर पड़ेगा. वहीं सरकार की कोशिश रहेगी कि कोर्ट कानून को लेकर कोई फैसला लेने से पहले उसकी दलीलें जरूर सुने.