क्या है वक्फ कानून का मसला? आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई, जानिए 10 अहम बातें
संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, जिसमें इस कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चर्चा की जाएगी. यह कानून मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित प्रावधानों में बदलाव करता है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, जबकि सरकार का कहना है कि यह विधेयक संपत्ति के प्रबंधन को सुधारने के लिए है, न कि धर्म से संबंधित.

हाल ही में संसद ने वक्फ संशोधन विधेयक को पास किया था, जिसे लेकर कई राजनैतिक और धार्मिक संगठन विरोध जता रहे हैं. इस कानून के तहत मुस्लिम धर्मार्थ संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं. आज सुप्रीम कोर्ट इस संशोधित वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करेगा. छह बीजेपी शासित राज्यों ने इस कानून का समर्थन करते हुए अदालत में अपनी बात रखने का अनुरोध किया है.
1. संशोधित वक्फ कानून पर सुनवाई आज
संसद द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी. यह सुनवाई दोपहर 2 बजे होगी, जिसे मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन न्यायधीशों की बेंच द्वारा किया जाएगा.
2. याचिकाओं में संविधान
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह संशोधित कानून कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है, जिनमें समानता का अधिकार और धार्मिक प्रथाओं को निभाने का अधिकार शामिल हैं.
3. याचिकाकर्ताओं में कांग्रेस
इस कानून के खिलाफ कांग्रेस, जनता दल यूनाइटेड, आम आदमी पार्टी, DMK और CPI के नेताओं ने याचिकाएं दायर की हैं. इसके अलावा, जमियत उलमा-ए-हिंद और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे धार्मिक संगठन भी इस कानून के खिलाफ हैं.
4. सुनवाई में शामिल होने की मांग
बीजेपी शासित राज्य जैसे मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र और उत्तराखंड ने इस कानून के पक्ष में अपनी बात रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया है.
5. याचिकाओं में मांग
कई याचिकाओं में यह मांग की गई है कि इस संशोधित कानून को असंवैधानिक घोषित किया जाए. कुछ याचिकाकर्ता चाहते हैं कि अदालत इस कानून को लागू होने से रोके.
6. असदुद्दीन ओवैसी ने दी आपत्ति
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस कानून को वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा को खत्म करने वाला बताया है. उनका कहना है कि अन्य धार्मिक संस्थाओं के मुकाबले मुस्लिम वक्फ संपत्तियों को कम सुरक्षा मिलना भेदभावपूर्ण है.
7. आम आदमी पार्टी का तर्क
AAP के अमानतुल्ला खान ने इस कानून के खिलाफ दायर अपनी याचिका में कहा कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों का समावेश संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है, क्योंकि इसका वक्फ संपत्तियों के धार्मिक प्रबंधन से कोई संबंध नहीं है.
8. सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि यह विधेयक संपत्ति और उसके प्रबंधन से संबंधित है, न कि धर्म से. सरकार का तर्क है कि वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन ठीक से नहीं हो रहा है और इससे गरीब मुस्लिमों, महिलाओं और बच्चों की मदद नहीं हो रही, जो कि इस संशोधन से ठीक किया जाएगा.
9. विधेयक की व्यापक समीक्षा
सरकार का कहना है कि इस विधेयक को तैयार करने के लिए बड़ी संख्या में लोगों से परामर्श लिया गया था और इसे गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का समर्थन भी प्राप्त है. यह विधेयक संयुक्त संसदीय समिति द्वारा परखा गया था, और उसमें सदस्यगण द्वारा सुझाए गए कई संशोधन शामिल किए गए हैं.
10. बंगाल में हिंसा के बाद विरोध
इस संशोधित कानून के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. सबसे बड़ा विरोध बंगाल में हुआ था, जहां तीन लोग मारे गए और कई लोग बेघर हो गए थे. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार इस संशोधित वक्फ कानून को लागू नहीं करेगी.