2029 तक चलेंगी सभी विधानसभाएं, One Nation One Election के बाद क्या होगा

One Nation One Election: एक राष्ट्र और एक चुनाव के बाद देशभर में क्या बदलेगा इसको लेकर लोगों के ज़हन में सवाल आ रहे हैं. साथ ही यह भी सवाल है कि क्या लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए क्या कुछ विधानसभाओं को भंग कर दिया जाएगा तो चलिए जानते हैं ऐसी स्थिति में क्या होगा

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One Nation One Election: केंद्रीय कैबिनेट ने मंगलवार को वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है. बताया जा रहा है कि सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान यह बिल संसद में लाएगी. यह एक मील का पत्थर कदम है जिसका उद्देश्य लोकसभा और राज्य चुनावों को एक साथ आयोजित करना है. सरकार का कहना है कि इससे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मतदान प्रक्रिया में होने वाले खर्च और रसद संबंधी बाधाओं में कमी आएगी. सरकारी सूत्रों ने कहा कि केंद्र सदन में विधेयक पेश करने से पहले आम सहमति बनाने के लिए उत्सुक है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार पर शीतकालीन सत्र तक ही "एक राष्ट्र, एक चुनाव" (ONOP) विधेयक लाने का कोई दबाव नहीं है.

ONOP को लागू करने की योजना:
एक साथ चुनाव दो चरणों में लागू किए जाएंगे. पहले चरण में, लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे. दूसरे चरण में, आम चुनाव के 100 दिनों के भीतर पंचायतों और नगर निकायों के स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएंगे. सभी चुनावों के लिए एक समान मतदाता सूची होगी. राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से भारतीय चुनाव आयोग (ECI) द्वारा मतदाता पहचान पत्र तैयार किए जाएंगे. कोविंद पैनल की सिफारिशों को लागू करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा.

कोविंद समिति की रिपोर्ट की सिफारिशें:
जब संसद की बैठक होगी, तो एक “नियत तिथि” निर्धारित की जानी चाहिए. नियत तिथि के बाद राज्य चुनावों द्वारा गठित सभी विधानसभाएँ केवल 2029 में होने वाले आम चुनावों तक की अवधि के लिए होंगी. वास्तव में, 2024 और 2028 के बीच गठित राज्य सरकारों का कार्यकाल 2029 के लोकसभा चुनावों तक कम होगा, जिसके बाद खुद ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे. उदाहरण के लिए, जिस राज्य में 2025 में चुनाव होंगे, वहां चार साल के कार्यकाल वाली सरकार होगी, जबकि जिस राज्य में 2027 में चुनाव होंगे, वहां 2029 तक केवल दो साल के लिए सरकार होगी.

रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि सदन में बहुमत न होने, अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी भी घटना की स्थिति में, नए सदन के गठन के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं - चाहे वह लोकसभा हो या विधानसभा. इस प्रकार गठित नई सरकार का कार्यकाल भी केवल लोकसभा के पिछले पूर्ण कार्यकाल के शेष कार्यकाल के लिए होगा और इस अवधि की समाप्ति सदन के विघटन के रूप में कार्य करेगी.

First Updated : Wednesday, 18 September 2024