Explainer : अब्राहमी धर्म क्या है? जिसका न कोई ग्रंथ है और न कोई किताब, कैसे लाएगा इजरायल-अरब के बीच शांति?
What is Abrahamic religion: इन दिनों धर्म को लेकर पूरी दुनिया में कट्टरता बढ़ रही है. एशिया के साथ ही यूरोप में भी दक्षिणपंथ सक्रिय है, जिसका कहना है कि एक खास धर्म के शरणार्थी उनके यहां आते हैं और उत्पात मचाते हैं. इस बीच एक नया धर्म भी एंट्री मार चुका.
मुस्लिम-बहुल अरब देशों में पिछले कुछ समय से एक नया धर्म चर्चा में आ गया है. इस धर्म का नाम अब्राहमी है. इसमें एक रोचक बात यह है कि इस धर्म शुरुआत खुद से नहीं बल्कि एक राजनीतिक डील के तहत हुई है. दावा किया जा रहा है कि इस धर्म के बनने से अरब देशों और इजरायल के बीच चली आ रही दुश्मनी कम होगी.
इन दिनों धर्म को लेकर पूरी दुनिया में कट्टरता बढ़ रही है. एशिया के साथ ही यूरोप में भी दक्षिणपंथ सक्रिय है, जिसका कहना है कि एक खास धर्म के शरणार्थी उनके यहां आते हैं और उत्पात मचाते हैं. इस बीच एक नया धर्म भी एंट्री मार चुका. यह इजरायल और यूएई के बीच संबंध सुधारने के लिए 'लॉन्च' हुआ है.
दो-पक्षीय समझौते से जन्मा धर्म
इजराइल, बहरीन और यूएई के बीच संबंध सुधारने के लिए एक समझौता हुआ, जिसे अब्राहमी समझौता कहा गया. इसका मकसद तीन धर्मों- इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्म के बीच समानताओं को देखते हुए उनका फर्क मिटाना था. यानी अब्राहमी एक तरह का हाइब्रिड रिलीजन है, जिसमें तीनों धर्मों की थोड़ी-थोड़ी खासियतें हैं.
अमेरिका बना मीडिएटर
सितंबर 2020 में अब्राहम अकॉर्ड्स हुआ था. यह दो-पक्षीय समझौता था, ताकि इजरायल और अरब देशों के बीच दशकों से चल रहे तनाव को खत्म किया जा सके. इस समझौते में अमेरिका ने मध्यस्थता की है. यह समझौता एक कागजी लिखा पढ़ी थी, न कि पूरी तरह से धर्म. हर धर्म का ग्रंथ होता है, लेकिन इसका कोई ग्रंथ नहीं है. इसका नाम अब्राहिम इसलिए दिया गया क्योंकि मुस्लिम और यहूदी दोनों ही धर्मों में ये महान शख्स माने जाते रहे. यहूदी धर्म का उदय पैगंबर अब्राहम से माना जाता है, वहीं मुस्लिमों में ये पैगंबर का एक रूप रहे.
अब्राहमी धर्म के तहत आते हैं तीन धर्म
ईसाई, यहूदी और मुस्लिम तीनों ही धर्मों को अब्राहमी धर्म के तहत गिना जाता है. ये तीनों ही मानते हैं कि ईश्वर एक होता है. इनकी धार्मिक मान्यताएं और रीति-रिवाज भी काफी मिलते-जुलते हैं. लेकिन इनमें कई फर्क भी हैं, जिनकी वजह से अब्राहमी रिलीजन के कंसेप्ट पर विवाद होता रहा है.
क्या है विवाद?
इस धर्म को लेकर सबसे बड़ी बहस यह थी कि धर्म ऑर्गेनिक तरीके से नहीं आया है, बल्कि राजनीतिक समझौते के तहत यह धर्म बना है. इस पर विवाद भी रहा कि अमीर अरब इसे अमेरिका से अपने व्यापारिक रिश्ते सुधारने के लिए आजमा रहे हैं. कथित तौर पर इजरायल के दोस्त अमेरिका ने जान-बूझकर ऐसा किया ताकि अरब नेशन आजाद फिलिस्तीन की मांग छोड़ दें.
अगर हम राजनीति की बातों को छोड़ दें तो सारे धर्मों में कुछ अंतर देखने को मिलता है. जैसे, ईसाइयों में खाने पीने को लेकर कट्टरता नहीं है, जबकि यहूदी और मुस्लिम दोनों ही धर्म कई चीजों से परहेज करते हैं. यहूदी धर्म में मसीहा, या पैगंबर का दर्जा नहीं, जबकि बाकी दोनों धर्म ये मानते हैं.
अब्राहम अकॉर्ड के बाद क्या हुआ?
इस समझौते रके बाद यूएई और इजरायल के बीच दोस्ताना संबंध बने. दोनों के बीच सीधी उड़ानें शुरू हुईं. अबू धाबी में इजरायली दूतावास खोला गया, जबकि तेल अवीव में भी यूएई का दूतावास खुला. इससे पहले डिप्लोमैटिक रिश्ते नहीं के बराबर थे. अब्राहम अकॉर्ड पर जोर देने के लिए एक पूजा स्थल बनाया गया. इसे अब्राहमिक फैमिली हाउस नाम दिया गया. अबू धाबी स्थित ये इमारत इंटरफेथ कॉम्प्लेक्स है, जहां चर्च, मस्जिद और सिनेगॉग तीनों ही हैं. साल 2023 में इसे आम लोगों के लिए खोला गया था.
नए धर्म भी बनते-बिगड़ते रहे
मौजूदा धर्मों से ऊबे या किसी कारण से परेशान लोग नए धर्मों की खोज में रहते हैं. नए-नए धर्म बनते भी रहते हैं, जो दावा करते हैं कि वे दुनिया में प्रेम और भाईचारा ला देंगे. इसे न्यू रिलीजियस मूवमेंट (NRM) कहते हैं.
भारत में धर्मों को लेकर क्या स्थिति है?
भारत की बात करें तो आर्ट ऑफ लिविंग को न्यू रिलीजियस मूवमेंट के तहत रख सकते हैं. ये सीधे-सीधे धर्म नहीं, लेकिन मेडिटेशन, योग और डाइट के जरिए आध्यात्म की बात करता है. रजनीश इंटरनेशनल फाउंडेशन भी NRM के तहत आता है. ये ओशो का कम्यून था, जो अपने तौर-तरीकों के लिए भारी विवादित रहा.