Alvida Juma: क्या होता है अलविदा जुमा? इस्लाम क्या और कितनी है इसकी अहमियत
आज यानी 5 अप्रैल को देशभर में अलविदा जुमा मनाया जा रहा है. अलविदा जुमा रमजान के आखिरी शुक्रवार को कहा जाता है. इस खबर में हम आपको अलविदा जुमे के अहमियत के बारे में बताने जा रहे हैं.
Alvida Juma: रमजान का पवित्र महीना चल रहा है. आज यानी 5 अप्रैल को अलविदा जुमा भी है. यानी रमजान का आखिरी जुमा. वैसे तो पूरे रमजान के महीने को ही बरकत वाला बताया जाता है लेकिन आखिरी जुमे अहमियत अन्य दिनों से काफी ज्यादा है. यही वजह है कि देशभर की मस्जिदों में इस दिन की तैयारियां कर ली गई हैं. साथ ही कुछ इलाकों में सिक्योरिटी भी सख्त कर दी गई है. ताकि कोई अप्रिय घटना देखने को मिले. खैर इस खबर में हम आपको रमजान के आखिरी जुमा यानी अलविदा जुमा के बारे में कुछ अहम बातें बताने जा रहे हैं.
इस दिन सभी मुस्लिम नहा धोकर नए कपड़े पहनते हैं और ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करते हैं. साथ ही दोपहर की नमाज़ के लिए सभी मुस्लिम पुरुष मस्जिदों में जाते हैं. इस दिन इतनी ज्यादा तादाद में लोग नमाज़ पढ़ने के लिए पहुंचते हैं कि मस्जिदों में जगह बाकी नहीं रह जाती. यही कारण है कुछ जगहों पर लोग सड़कों पर भी नमाज़ अदा करने लगते हैं. हालांकि यह महज़ कुछ ही मिनटों के लिए होता है.
सप्ताह के सात दिनों में से जुमे के दिन सबसे अहम बताया है और इस दिन को अनगिनत रहमतों से नवाजा है. रमज़ान के महीने के आखिरी शुक्रवार को जुमात अल-विदा का दर्जा प्राप्त है. यह दिन इस्लाम के मानने वालों के लिए यह भी इशारा करता है कि रमजान का पवित्र महीना अब कुछ दिनों का महमान है.
क्या कहती है हदीस?
हालांकि जब हमने इस संबंध में एक इस्लामिक वेबसाइट पर जाकर चेक किया तो पता चला कि रमजान का आखिरी जुमा अलविदा जुमा को लेकर पैगंबर मोहम्मद साहब कोई खास तैयारियां नहीं करते थे. बल्कि वो रमजान आखिरी अशरे (आखिरी 10 दिन) एतकाफ और रातें जागकर इबादत में गुजारते थे. कुरान के बाद सबसे अहम किताबें जिन्हें हदीस कहा जाता है में जिक्र है कि रमजान के आखिरी अशरे यानी आखिरी 10 दिनों में इबादत बाकी दिनों से ज्यादा की जाती है लेकिन आखिरी शुक्रवार के लिए नए कपड़े सिलवाना, तरह-तरह की तैयारी करना हदीसों से साबित नहीं होता. हालांकि इसमें कोई शक नहीं है कि जुमे का दिन बाकी दिन को बाकी दिनों से अफज़ल बताया गया है.