इन 2 अनुच्छेद के चलते SC ने पलटा योगी सरकार का फैसला, पढ़िए

Supreme Court on Kanwar Route Shops: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा आदेश जारी करते योगी सरकार को झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रियों के रूट पर पड़ने वाली दुकानों के मालिकों को नाम जाहिर करने पर रोक लगा दी है. इससे पहले योगी सरकार ने सभी दुकानदारों, रेस्टोरेंट्स के मालिकों और ढेलों पर फल बेचने वोलों को अपना नाम जाहिर करने का आदेश दिया था.

JBT Desk
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Supreme Court on Kanwar Route Shops: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्य़नाथ सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग में पड़ने वाली दुकानों के मालिकों को नेमप्लेट लगाने का निर्देश जारी किया था लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट रोक लगा दी है. देश की सबसे बड़ी अदालत ने योगी सरकार को झटका देते हुए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार को नोटिस जारी कर जवाब भी तलब किया है. महुआ मोइत्रा समेत कई याचिकाकर्ताओं ने योगी सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. 

बेंच ने कहा, 'हम निर्देशों के प्रवर्तन पर रोक लगाने के लिए अंतरिम आदेश पारित करना उचित समझते हैं. दूसरे शब्दों में खाने का सामान बेचने वालों को खाने की किस्म जाहिर करने की जरूरत हो सकती है, लेकिन उन्हें मालिकों या फिर काम करने वाले कर्मचारियों के नाम जाहिर करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.' लाइव लॉ के मुताबिक जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने सरकार के इस आदेश को विभाजनकारी और संविधान में दिए गए अधिकारों के खिलाफ बताया. साथ ही अदालत ने सरकार के इस आदेश को देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र का उल्लंघन भी करार दिया है. इससे संविधान के आर्टिकल 15(1) और 17 के तहत दिए गए अधिकारों का उल्लंघन भी होता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये दोनों आर्टिकल किस बारे में हैं और इसमें क्या कहा गया है. 

क्या है आर्टिकल 15 (1)?

किसी भी नागरिक के खिलाफ सिर्फ धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करेगा. कोई भी नागरिक केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्म स्थान या इनमें से किसी के आधार पर दुकानों, रेस्तरां, होटलों और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों पर किसी भी प्रकार की अक्षमता, दायित्व, प्रतिबंध या शर्त के अधीन नहीं होगा. हालांकि इस आर्टिकल की कोई बात राज्य को महिलाओं और बच्चों के लिए कोई खास प्रावधान करने से नहीं रोकेगी.

क्या आर्टिकल 17?

अनुच्छेद 17 समानता के अधिकार का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है. भारतीय संविधान, खास तौर पर आर्टिकल 17, ने अस्पृश्यता के सभी रूपों में खत्म कर दिया है. यह आर्टिकल साफ तौर पर छुआछूत पर पाबंदी का ऐलान करता है. 'अस्पृश्यता (Untouchability)' को खत्म कर दिया गया है और किसी भी तरह इसको बर्दाश्त नहीं किया जाएगा."अस्पृश्यता" से पैदा होने वाली किसी भी अक्षमता को लागू करना कानून के मुताबिक दंडनीय अपराध होगा.

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22 July 2024, 06:00 PM IST

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