ज्ञानवापी मस्जिद मामले में एएसआई ने अपनी सर्वे रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है. इसके बाद कोर्ट ने हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों को सर्वे रिपोर्ट की कॉपी देने का आदेश दिया था. इसके बाद एक दम से Archaeological Survey of India यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण चर्चा में आ गया. इसको लेकर बातें होने लगीं कि आखिर यह ASI क्या है और किस तरह काम करता है. देश में इसका गठन कब हुआ था, इस तरह के कई सवाल हैं, जिनके जवाब आज हम आपको बताने जा रहे हैं.
एएसआई का पूरा नाम 'भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण' (Archaeological Survey of India) है, जो संस्कृति मंत्रालय के अधीन आता है. इसकी स्थापना 1861 में हुई थी. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का प्रमुख कार्य राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों और पुरातत्वीय स्थलों और अवशेषों का रख-रखाव का काम करता है. इसके अलावा प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार यह देश में सभी पुरातत्वीय गतिविधियों को रेगुलेट करता है. यह पुरावशेष और बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी रेगुलेट करता है. राष्ट्रीय महत्व के प्राचीन स्मारकों और अवशेषों के रख-रखाव के लिए पूरे देश को 24 मंडलों में विभाजित किया गया है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) पुरानी इमारतों और खंडहरों के सर्वे के लिए ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है. इस टेक्निक से सर्वे क्षेत्र के अतीत का गहराई से अध्ययन किया जाता है. ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में भी इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने बताया है कि मस्जिद का सर्वे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और मॉडर्न टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से किया जाएगा. इसके अलावा एएसआई की एक टीम अध्ययन क्षेत्र में आगे-पीछे सीधी रेखाओं में चलती. जैसे-जैसे वे चलते हैं, वे अतीत की मानवीय गतिविधियों के साक्ष्य की तलाश करते हैं, जिसमें दीवारें या नींव, कलाकृतियां, या मिट्टी में रंग परिवर्तन शामिल हैं जो सुविधाओं का संकेत दे सकते हैं.
एक शोधकर्ताओं की टीम सतह पर कलाकृतियां या अन्य पुरातात्विक संकेतकों की तलाश में लक्ष्य क्षेत्र के माध्यम से धीरे-धीरे चलती है. टीम उस समय के पर्यावरण के पहलुओं को रिकॉर्ड करती है. सर्वे टीम उन सभी साक्ष्यों को सहेजकर एक फाइनल रिपोर्ट तैयार करती है.
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में ASI सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर आगे का फैसला तय किया जाएगा. इससे पहले अयोध्या में राम मंदिर- बाबरी मस्जिद के मामले पर एएसआई के सर्वे की काफी अहम भूमिका थी. कोर्ट ने भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण यानी आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) की रिपोर्ट के आधार पर यह भी कहा है कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी.
हमने आपको बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का कार्यालय संस्कृति मंत्रालय के अधीन आता है. ASI की टीम जब किसी ऐतिहासिक इमारत या खंडहर का सर्वे करती है, तो उस पर संस्कृति मंत्रालय की नजर रहती है. कुछ मामलों में जब सर्वे कोर्ट के आदेश पर किया जाता है, तो कोर्ट भी सर्वे के पल-पल की रिपोर्ट की मॉनिटरिंग करता है. ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे भी कोर्ट के आदेश पर एएसआई को सौंपा गया है.
2007 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने रामसेतु पर अपनी राय रखी थी. रिपोर्ट में कहा था कि राम सेतु एक प्राकृतिक संरचना से ज्यादा कुछ नहीं है. भारत सरकार ने एएसआई के सहयोग से सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया था, जिसमें कहा गया कि संरचना का निर्माण भगवान राम द्वारा किए जाने का कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिला है. First Updated : Saturday, 27 January 2024