What is Assam Muslim Marriage Act 1930: असम की हिमंता बिस्वा सरकार ने बड़ा फ़ैसला लेते हुए असम मुस्लिम विवाह और तलाक़ से जुड़े 1930 के क़ानून को ख़त्म कर दिया है. असम मंत्रिमंडल ने इस संबंध में शुक्रवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में यह निर्णय लिया है. सरकार के इस कदम को UCC की दिशा में पहला कदम बताया जा रहा है. मुख्यमंत्री सरमा ने कहा है कि इस अधिनियम में शादी रजिस्टर करने की इजाज़त देने वाले प्रावधान हैं, भले ही दूल्हा और दुल्हन क़ानून के हिसाब से 18 और 21 साल के ना हुए हों. इस कदम के बाद से राज्य में बाल विवाह पर पाबंदी लगेगी जो बहुत ज़रूरी है.
94 मुस्लिम कर्मचारी होंगे बेरोज़गार:
इस क़ानून के ख़त्म होने के साथ ही सरकार ने उन मुस्लिम रजिस्ट्रारों को भी काम से मुक्ति दे दी है जो इसके तहत अपनी ज़िम्मेदारियाँ अंजाम दे रहे थे. बताया जा रहा है कि सरकार ने इन कर्मचारियों को एक साथ दो लाख रुपये दिए हैं. अब इन कर्मचारियों की ज़रूरत नहीं होगी क्योंकि अब मुस्लिमों के विवाह और तलाक को रजिस्टर करने की जिम्मेदारी जिला आयुक्त और जिला रजिस्ट्रार की होगी.
क्या है असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून 1930?
दरअसल यह क़ानून अंग्रेजों के समय में बनाया गया था. उस समय इस क़ानून के अंदर किशोर विवाह को बेहद आसान बना दिया गया था. इस अधिनियम में मुस्लिम विवाह और तलाक का ख़ुद की मर्ज़ी से रजिस्ट्रेशन का प्रावधान था. साथ ही सरकार को इस तरह का रजिस्ट्रेशन (विवाह/तलाक़) करना होता था और लाइसेंस देना होता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. इस बारे में बोलते हुए पर्यटन मंत्री ने कहना है कि हमारे पास पहले से ही स्पेशल मैरिज एक्ट है और हम चाहते हैं कि सभी के तरह के रजिस्ट्रेशन इसी एक्ट के तहत हों.
लंबे समय से तैयारी कर रही थी सरकार
असम की हिमंता बिस्वा सरमा सरकार एक लंबे से इस दिशा में काम कर रही थी. इस क़ानून को रद्द करने के लिए सरकार ने स्पेशल कमेटी बनाई थी. इस कमेटी में रिटायर्ड जज शामिल थे. इस कमेटी की तरफ़ से पेश की गई रिपोर्ट के बाद ही यह फ़ैसला लिया गया है. सरकार के द्वारा बनाई गई स्पेशल कमेटी ने यह भी बताया है कि इस्लाम में पुरुषों के लिए एक से ज़्यादा शादियाँ करना भी अनिवार्य नहीं है.
असम में क्या आएँगे बदलाव?
पुराना क़ानून रद्द होने के बाद अब मुसलमानों के लिए अलग से रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. बल्कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत जहां अन्य धर्म के लोगों का रजिस्ट्रेशन होता है वहीं पर उनका भी होगा. इस क़ानून के हटने के बाद से मुस्लिम समाज में होने वाले बाल विवाह पर रोक लग जाएगी. जो उम्र अन्य धर्मों के लिए तय की गई है उसी के तहत मुस्लिम समुदाय आएगा.
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