Explainer : आखिर क्या है CAA? इसका मुस्लिम समुदाय और विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध
CAA : नागरिकता संशोधन अधिनियम एक बार फिर चर्चा में आ गया है. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले यह देश में लागू हो जाएगा.
अयोध्या के राम मंदिर में राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बड़ा ऐलान कर दिया है. गृह मंत्री अमित शाह ने आज 10 फरवरी को ऐलान किया कि लोकसभा चुनाव से पहले देश में CAA लागू हो जाएगा. इसके बाद पूरे देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बहस शुरू हो गई है. वहीं राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले CAA को तुरुप के इक्के के रूप में चल दिया है.
अगर CAA लागू हुआ तो क्या होगा?
भारत में अगर सीएए कानून लागू होता है तो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भारत आने वाले ऐसे लोगों को नागरिकता देने का रास्ता साफ हो जाएगा. जो लोग दिसंबर 2014 तक इन तीन देशों से प्रताड़ित होकर भारत आ गए हैं उनको भारत की नागरिकता मिल सकती है. इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाईयों को नागरिकता देने का प्रावधान है. मुस्लिमों को इसमें शामिल नहीं किया गया है. इसके चलते हमारे देश के अंदर ही मुस्लिम सुमदाय के लोग और कुछ विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं.
2019 में CAA दोनों सदनों में हुआ था पास
साल 2019 में केंद्र में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ आई थी. इसके बाद नागरिकता संशोधन बिल (CAA) को दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में रखा गया और यह दोनों सदनों में बहुमत से पास हो गया. इसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति ने भी 10 जनवरी 2020 को इसे मंजूरी दे दी, लेकिन इसके बाद कोरोना फैल गया और देश में यह कानून लागू नहीं हो सका.
नागरिकता संशोधन कानून
सीएए का हिंदी नाम नागरिकता (संशोधन) कानून है. नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (Citizenship Amendment Act) ऐसा कानून है, जिसके तहत दिसंबर 2014 से पहले तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले 6 धार्मिक अल्पसंख्यकों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई) को नागरिकता दी जाएगी. लंबे समय से भारत में शरण लेने वालों को इससे राहत मिलेगी.
पूर्वोत्तर में CAA का क्यों हो रहा है विरोध?
पूर्वोत्तर के कुछ संगठनों को ऐसा लगता है कि इस कानून से बिना दस्तावेज वाले हिंदू प्रवासियों को नागरिकता मिल जाएगी, जिससे उनकी जनसांख्यिकी बदल सकती है. साथ ही संभावित रूप से उनके राजनीतिक अधिकारों, संस्कृति और भूमि अधिकारों पर असर पड़ सकता है.
विपक्ष कानून क्यों कर रहा है विरोध?
सीएए का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि इस कानून में मुस्लिमों के साथ भेदभाव किया जा रहा है. तीन पड़ोसी मुस्लिम बाहुल्य देशों में जो अल्पसंख्यक रह रहे हैं, उनको बिना किसी दस्तावेज भारत में नागरिकता देने का प्रावधान है, जबकि मुस्लिमों को इससे दरकिनार किया जा रहा है. CAA का विरोध करने वालों का कहना है कि यह कानून संविधान के आर्टिकल 14 यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है.