Explainer : इच्छामृत्यु क्या होती है? जानिए इसको लेकर क्या कहता है भारतीय कानून
किसी गंभीर या लाइलाज बीमारी से पीड़ित शख्स को दर्द से निजात देने के लिए डॉक्टरों की मदद से पीड़ित जिंदगी का अंत करना, जिससे कि उसे दर्द और तकलीफ न हो इसको इच्छामृत्यु कहते हैं.
उत्तर प्रदेश के बांदा में यौन उत्पीड़न से परेशान एक महिला जज ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की है. ऐसे में आज हम आपको इच्छामृत्यु क्या होती है? इसको लेकर भारत में क्या नियम कानून हैं इसके बारे में बताएंगे. क्या आत्महत्या को इच्छामृत्यु ही माना जाता है? इसके बारे में भी आज हम जानेंगे.
इच्छामृत्यु क्या होती है?
किसी गंभीर या लाइलाज बीमारी से पीड़ित शख्स को दर्द से निजात देने के लिए डॉक्टरों की मदद से पीड़ित जिंदगी का अंत करना, जिससे कि उसे दर्द और तकलीफ न हो इसको इच्छामृत्यु कहते हैं. इच्छामृत्यु दो तरह की होती है. निष्क्रिय इच्छामृत्यु और सक्रिय इच्छामृत्यु.
निष्क्रिय इच्छामृत्यु क्या है?
यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से कोमा में है और उसके परिवार वालों की इजाजत से उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटाना निष्क्रिय इच्छामृत्यु कहलाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे इजाजत दी है.
सक्रिय इच्छामृत्यु क्या है?
इसमें मरीज को जहर या पेनकिलर के इंजेक्शन का ओवरडोज देकर मौत दी जाती है. इसे भारत समेत ज्यादातर देशों में अपराध माना जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च 2018 को इच्छामृत्यु को मंजूरी दी थी. उस समय कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जिस तरह व्यक्ति को जीने का अधिकार है, उसी तरह गरिमा से मरने का अधिकार भी है.
इच्छामृत्यु किन लोगों के लिए है?
इच्छामृत्यु देने का प्रावधान उन लोगों के लिए हैं, जो व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा हो. जिसका इलाज संभव न हो और जिंदा रहने में उसे बेहद कष्ट उठाना पड़ रहा हो. कोई मरीज इच्छामृत्यु के लिए तभी आवेदन कर सकता है, जब उसकी बीमारी असहनीय हो और उसकी वजह से उसे पीड़ा उठानी पड़ रही हो. दुनिया के ज्यादातर देशों में यही नियम है.
इच्छामृत्यु के लिए कौन आवेदन कर सकता है?
इच्छामृत्यु के लिए कोई भी व्यक्ति आवेदन नहीं कर सकता. सिर्फ लाइलाज बीमारी से जूझ रहा व्यक्ति ही इच्छामृत्यु के लिए आवेदन कर सकता है. इच्छामृत्यु के लिए लिखित आवेदन देना होता है. मरीज और उसके परिजनों को इस बारे में पता होना चाहिए. इसे 'लिविंग विल' कहा जाता है.
लिविंग विल क्या होती है?
लिविंग विल एक जीवित वसीयत या कानूनी दस्तावेज है. अगर किसी व्यक्ति को लाइलाज बीमारी हो जाती है और उसके ठीक होने की उम्मीद नहीं बचती, तो ऐसी स्थिति में मरीज इच्छामृत्यु के लिए खुद एक लिखित दस्तावेज देता है, जिसे 'लिविंग विल' कहा जाता है. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार, लिविंग विल की अनुमति तभी दी जा सकती है, जब किसी व्यक्ति को इच्छामृत्यु चाहिए और इसकी जानकारी उसके परिवार को हो. इसके अलावा अगर डॉक्टरों की टीम कह दे कि मरीज का बच पाना संभव नहीं है तो लिविंग विल दी जा सकती है. हालांकि, किसी मरीज को इच्छामृत्यु देना है या नहीं, इसका फैसला मेडिकल बोर्ड करेगा.
इच्छामृत्यु किन बीमारियों पर मिलती है ?
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस में किसी बीमारी का जिक्र नहीं है. अगर डॉक्टर को लगता है कि मरीज के जिंदा बचने की उम्मीद नहीं है, तो मरीज और उसके परिवार की सलाह पर उसे इच्छामृत्यु दी जा सकती है. हालांकि, ये जरूरी है कि जिस व्यक्ति को इच्छामृत्यु दी जा रही हो, उसे उसके बारे में पता होना चाहिए.
क्या आत्महत्या भी इच्छामृत्यु है?
इच्छामृत्यु और आत्महत्या को अक्सर जोड़कर देखा जाता है, लेकिन ये दोनों अलग-अलग है. आईपीसी की धारा-309 के तहत आत्महत्या की कोशिश करना अपराध है. धारा-309 के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति आत्महत्या की कोशिश करता है तो दोषी पाए जाने पर एक साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है. हालांकि, मेंटल हेल्थकेयर एक्ट 2017 की धारा 115 आत्महत्या की कोशिश करने वाले तनाव से जूझ रहे लोगों को इससे राहत देती है.
इच्छामृत्यु को लेकर इन देशों में क्या है कानून
अमरीका- यहां सक्रिय इच्छा मृत्यु गैर-कानूनी है लेकिन ओरेगन, वॉशिंगटन और मोंटाना राज्यों में डॉक्टर की सलाह और उनकी मदद से मरने की इजाजत है.
स्विट्ज़रलैंड- इस देश में खुद से जहरीला इंजेक्शन लेकर आत्महत्या करने की इजाजत है, हालांकि इच्छा मृत्यु गैर- कानूनी है.
नीदरलैंड्स- यहां डॉक्टरों के हाथों सक्रिय इच्छा मृत्यु और मरीज की मर्जी से दी जाने वाली मृत्यु दंडनीय अपराध नहीं है.
बेल्जियम- यहां सितंबर 2002 से इच्छा मृत्यु वैधानिक हो चुकी है.
ब्रिटेन, स्पेन, फ्रांस और इटली जैसे यूरोपीय देशों सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में इच्छा मृत्यु गैर-कानूनी है.