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क्या है सिंधु जल संधि? 64 साल बाद भारत ने तोड़ा पाकिस्तान के साथ समझौता

Indus Waters Treaty: भारत ने पाकिस्तान के साथ 64 साल पुराना सिंधु जल संधि निलंबित करने का फैसला लिया है. यह कदम जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद उठाया गया, जिसमें 26 लोग मारे गए थे. आइए जानते है आखिर ये संधि थी क्या?

Shivani Mishra
Edited By: Shivani Mishra

Indus Waters Treaty: जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ 64 साल पुरानी सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला लिया है. पूर्व विदेश सचिव कंवल सिबल ने पहले ही सिंधु जल संधि को स्थायी रूप से निलंबित करने की वकालत की थी, उनका कहना था कि "खून और पानी साथ नहीं चल सकते". यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक में लिया गया था. इस बैठक में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकवादी हमले पर विस्तार से चर्चा की गई थी.

सिंधु जल संधि एक महत्वपूर्ण जलवायु समझौता है जो 1960 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अय्यूब खान के बीच हुआ था. यह समझौता सिंधु नदी प्रणाली (Indus River System) के पानी के साझे इस्तेमाल पर आधारित है. इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच जल विवादों को हल करना और जल संसाधनों का समान रूप से वितरण करना था.

क्या है सिंधु जल संधि?

सिंधु जल समझौते के अनुसार, भारत को तीन पूर्वी नदियों - रावी, ब्यास और सतलुज का नियंत्रण प्राप्त है, जबकि पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों - सिंधु, चेनाब और झेलम पर अधिकार प्राप्त है. समझौते के तहत भारत को पूर्वी नदियों के सभी जल का इस्तेमाल पूरी तरह से बिना किसी बाधा के करने का अधिकार है, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों का जल बिना किसी रुकावट के बहने देना होता है. हालांकि, भारत को इन पश्चिमी नदियों का पानी घरेलू, कृषि और बिजली उत्पादन के लिए सीमित तरीके से इस्तेमाल करने की अनुमति है.

भारत के लिए यह समझौता काफी संवेदनशील रहा है, क्योंकि कई बार विशेषज्ञों ने कहा है कि यह पाकिस्तान के पक्ष में अधिक झुका हुआ है. फिर भी, मानवता की दृष्टि से भारत ने इसे जारी रखा है. लेकिन हालिया घटनाओं और पाकिस्तान के समर्थन में आतंकवाद के चलते, भारत ने अब इसे निलंबित करने का कदम उठाया है. पूर्व विदेश सचिव कंवल सिबल ने इस कदम को रणनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में देखा है और कहा है कि "खून और पानी साथ नहीं चल सकते".

समझौते के निलंबन के बाद की स्थिति

भारत द्वारा सिंधु जल समझौते को निलंबित करने से दोनों देशों के बीच जल विवाद और भी जटिल हो सकते हैं. यह निर्णय पाकिस्तान के खिलाफ एक कड़ा संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है, जो कि आतंकवाद का समर्थन करने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. भारत ने इस निलंबन के बाद कहा है कि वह भविष्य में किसी भी परिस्थिति में अपनी जल सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं करेगा.

सिंधु जल समझौते का यह निलंबन एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कदम है, जो भारत के जल संसाधनों की सुरक्षा के लिए जरूरी था. इस निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने किसी भी प्रयास में पीछे नहीं हटेगा और किसी भी स्थिति में अपनी सुरक्षा के साथ समझौता नहीं करेगा.

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24 April 2025, 08:31 AM IST

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