MP Assembly election 2023: मध्य प्रदेश में राहुल गांधी की 'मोहब्बत की दुकान खुलेगी या फिर 'एमपी के मन में हैं मोदी' नारा सच होने वाला है. तीन दिसबंर को चुनाव परिणाम आने के बाद ही यह बात साफ हो पाएगी। फिलहाल मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जा चुके हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार 76.22 फीसदी वोटिंग हुई है. बता दें कि मध्य प्रदेश के इतिहास में अब तक की सबसे ज्यादा वोटिंग प्रतिशत है. अबकी बार मध्य प्रदेश में बंपर वोटिंग पर चर्चा भी शुरू हो गई हैं. कुछ लोग इसे बीजेपी के पक्ष में भारी मतदान बता रहे हैं तो कुछ लोगों कहना है कि शिवराज सरकार की एंटी इनकम्बेंसी के चलते ऐसा हुऐ है. इस पर सौ फीसदी सच 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम जारी होने के बाद ही सामने आएगा। फिलहाल आज हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि मध्य प्रदेश में बंपर वोटिंग के किसे फायदा और नुकसान होता दिख रहा है?
बीस साल में 10 फीसदी बढ़ा मतदान
मध्य प्रदेश में पिछले 20 सालों में हर बार विधानसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है. साल 2003 में 67.25%, 2008 में 69.28, 2013 में 72.07 और 2018 में 74.97% वोटिंग हुई थी. जो 2023 में बढ़कर 76.22 फीसदी पहुंच गई है. मतलब कि बीस साल में 9 फीसदी मतदान बढ़ा है.
हॉट सीटों पर कैसा रहा मतदान प्रतिशत
ऐसे तो कांग्रेस और बीजेपी के लिए राज्य की सभी सीटें महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनमें से 5 सीटें ऐसी हैं, जिनपर सबकी निगाहें टिकी हैं. ये सीटें हैं: छिंदवाड़ा, दिमनी, दतिया, बुधनी और इंदौर-1.
पांच हॉट सीटों पर वोटिंग प्रतिशत
बुधनी- 81.59%
छिंदवाड़ा -75.33%
दिमनी - 64.22%
दतिया - 67.58%
1. शिवराज सिंह की बुधनी सीट पर मतदान घटा
सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं. यह उनकी परंपरागत सीट है. 2018 के चुनाव में बुधनी सीट पर 83.64% वोटिंग हुई थी. जबकि इस बार वोटिंग प्रतिशत 81.59% रहा. मतलब कि वोटिंग प्रतिशत घटा है. 2013 में शिवराज चौहान को 69 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन जब वोटिंग बंपर हुई तब शिवराज को पिछले चुनाव के मुकाबले 9 फीसदी वोट कम मिले. इस बार कांग्रेस ने टीवी एक्टर विक्रम मस्ताल को शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ मैदान में उतारा है. विक्रम रामायण सीरियल में हनुमान का किरदार निभा चुके हैं.
2. कमलनाथ कितना कमाल दिखा पाएंगे
छिंदवाड़ा से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ चुनावी मैदान में हैं. कमलनाथ छिंदवाड़ा से नौ बार लोकसभा सदस्य रह चुके हैं. इस सीट में अबकी बार 81.50 फीसदी मतदान हुआ है. कमलनाथ पहली बार 2019 में विधानसभा के सदस्य बने थे. 2019 के उपचुनाव में कमलनाथ ने बीजेपी उम्मीदवार को 25,837 वोटों के अंतर से हराया था. तब 79 फीसदी मतदाताओं ने छिंदवाड़ा में वोट डाला था. तब कमलनाथ को 55 फीसदी वोट मिले थे.
3. दिमनी में नरेंद्र सिंह तोमर का कितना दबदबा
बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को दिमनी सीट से चुनावी मैदान में हैं. 2018 और फिर 2019 के उपचुनाव में दिमनी से कांग्रेस के उम्मीदवार को जीत मिली थी. इस बार मुरैना की दिमनी सीट पर बीएसपी के पूर्व विधायक बलवीर दंडोतिया के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद से त्रिकोणीय मुकाबला माना जा रहा है. 2013 के चुनाव में, बीएसपी के बलवीर सिंह दंडोतिया ने 2,106 वोटों (1.69%) के अंतर से सीट जीती हासिल की थी. 2023 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में दिमनी में 66.18 फीसदी, 2018 में 70.14% मतदान हुआ था, 2013 में 65.55% और 2008 में 59.03% मतदान हुआ था.
4. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के घर में क्या हाल?
दतिया विधानसभा सीट गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की सीट है. दतिया में BJP पिछले तीन चुनाव से जीतती आ रही है. 2018 में नरोत्तम मिश्रा ने कड़े मुकाबले में 2,656 मतों के अंतर से जीत मिली थी. दतिया में 2018 में 76.77% मतदान हुआ था. जबकि इस बार बढ़कर 80 फीसदी वोटिंग हुई है. नरोत्तम मिश्रा को साल 2028 में 49.00% वोट मिले थे और कांग्रेस के उम्मीदवार को 47.20 फीसदी. इससे पहले 2013 में, नरोत्तम मिश्रा ने 12,081 वोटों (9.29%) के अंतर से सीट जीती थी. नरोत्तम मिश्रा को कुल 44.16% वोट मिले थे. तब 2013 में कुल 75.31% वोटिंग हुई थी. जबकि इस बार दतिया में 67.58% ही वोटिंग हुई है.
5. कैलाश विजयवर्गीय की सीट पर कितनी वोटिंग?
बीजेपी ने इंदौर-1 से फायर ब्रांड नेता कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में उतारा था. कैलाश विजयवर्गीय पहली बार इस सीट से चुनाव लड़े हैं. वहीं कांग्रेस ने अपने सिटिंग विधायक संजय शुक्ला को टिकट दिया है. इंदौर 1 पर शाम 5 बजे तक 62.30% वोट पड़े हैं. पिछली बार 2018 में में इंदौर-1 सीट पर 68.62% मतदान हुआ था. 2013 में 64.93% मतदान हुआ था. मतलब इस बार वोटिंग प्रतिशत में कमी आई है.
मध्य प्रदेश में वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी के क्या हैं मायने?
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में रिकार्ड वोटिंग के क्या मायने हैं? इसको समझने के लिए 20 साल पीछे जाना होगा. अगर पिछले आंकड़ों को देखें तो 2003 से 2018 तक सिर्फ एक बार राज्य में सत्ता परिर्वतन हुआ है. सत्ता परिवर्तन के समय 2018 में 74.97% फीसदी वोटिंग हुई थी. इस बार 76. .24 फीसदी रिकार्ड वोटिंग हुई है. ऐसे में कुछ सवाल के द्वारा हम कुछ चीजों को समझने का प्रयास करते हैं.
1. क्या बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर यानी एंटी इनकंबेंसी का ये नतीजा है?
राजनीतिक जानकार इसको लेकर अगल- अलग मत रखते हैं कुछ का कहना है कि शिवराज सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी के और अन्य जनहित के मुद्दों को लेकर लोगों ने कांग्रेस को वोट दिया है. बीजेपी के द्वारा कमलनाथ की सरकार गिराने पर कांग्रेस को सिंपैथी वोट मिले हैं और कांग्रेस की घोषणाओं से प्रभावित होकर लोगों ने वोट दिया है.
2. क्या लाड़ली बहना योजना काम कर गई और महिलाओं ने बीजेपी को वोट दे दिया ?
इस सवाल के जवाब में कई राजनीतिक जानकारों और विश्लेषकों का कहना है कि शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना ने महिलाओं समेत पुरुषों का भी वोट हासिल करने में बड़ी भूमिका निभाई है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश में मोदी और शिवराज दोनों को देकर लोगों ने वोट दिया है. इंडिया डेली लाइव न्यूज चैनल के सर्वे के अनुसार मध्य प्रदेश में इस बार बीजेपी को 100 से115, कांग्रेस को 91 से 108, अन्य दलों को 04 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं. लेकिन फाइल रिजल्ट 3 दिसंबर को आएगा.
2018 में किस पार्टी को कितनी सीटें मिली थीं?
साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 230 सीटों पर 74.97 फीसदी वोटिंग हुई थी. तब कांग्रेस को 114 सीट और बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं. लेकिन इससे भी ज्यादा अहम यह है कि बीजेपी को कांग्रेस से 0.1 फीसदी ज्यादा वोट मिले थे, लेकिन सरकार कांग्रेस ने बनाई थी. बीजेपी को तब 41 फीसदी और कांग्रेस 40.9 फीसदी वोट मिले थे.
First Updated : Saturday, 18 November 2023