Explainer : राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून विशेष प्रावधान क्या है जिसने अवैध कॉलोनियों को 2026 तक गिरने से बचा लिया

संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून विशेष प्रावधान विधेयक पर सहमति की मुहर लग गई. इसके साथ ही अब दिल्ली की अवैध कॉलोनियों पर 2026 तक बुलडोजर नहीं चल पाएगा. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि अगले तीन साल तक गैर-कानूनी कॉलोनियां सुरक्षित रहेंगी.

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राजधानी दिल्ली की अवैध कॉलोनियों में रहने वालों के लिए मंगलवार खुशी भरा दिन रहा क्योंकि संसद के दोनों सदनों में दिल्ली कानून विशेष प्रावधान विधेयक पर सहमति की मुहर लग गई. इसके बाद से अब दिल्ली में अगले तीन साल तक गैर-कानूनी कॉलोनियां सुरक्षित रहेंगी. यहां पर बनी अनाधिकृत कॉलोनियों और मकानों को 2026 तक नही गिराया जाएगा. इसके लिए मंगलवार को संसद के दोनों सदनों में दिल्ली नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली लॉज (स्पेशल प्रॉविजन) सेकंड (अमेंडमेट) बिल, 2023 को मंजूरी दे दी गई. दिल्ली के 40 लाख लोगों को राहत देने वाला यह विधेयक क्या है इसके बारे में आज हम बता रहे हैं. 

2006 से शुरू हुई राहत 2026 तक बढ़ी

2006 में दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली नगर निगम ने अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई शुरू की थी. इसके बाद तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने दिल्ली लॉ (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट 2006 पास करके कॉलोनियों पर होने वाली कार्रवाई पर 1 साल के लिए रोक लगा दी थी. बादमें इसमें संशोधन कर कॉलोनियों को दी जाने वाली राहत को 2011 तक के लिए बढ़ा दिया गया. फिर कार्रवाई को 2014 तक रोकने के लिए नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली लॉ (स्पेशल प्रोविजन) सेकंड एक्ट लाया गया. इसमें एनडीए सरकार ने 3 बार संशोधन किया और दिल्ली वालों को राहत दी.अब अगले 3 साल यानी 2026 तक अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई नहीं की जा सकेगी.

क्या कहता है विधेयक?

संसद में पेश संशोधित विधेयक में कई अहम बातें हैं. जैसे- अवैध कॉलोनियों पर अगले 3 साल तक कार्रवाई नहीं होगी. 1 जून 2014 तक हुए अनाधिकृत निर्माण इसके दायरे में आएंगे. मलिन बस्तियों और झुग्गी-झोपड़ी समूहों, अनाधिकृत कॉलोनियों, शहरी गांवों और अनुमति से अधिक निर्माण वाले फार्महाउसों के निवासियों के पुनर्वास के लिए व्यवस्थित व्यवस्था करने का प्रावधान है. अनाधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को मालिकाना अधिकार प्रदान करने की प्रक्रिया और बढ़ती अनाधिकृत कॉलोनियों को कंट्रोल करने की प्रक्रिया में समय लगेगा.

तीन साल बाद क्या होगा?  

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का कहना है कि मालिकाना हक प्रदान करने का काम जो 2019 में शुरू हुआ था, उसमें कोविड-19 महामारी के कारण देरी हुई. दिल्ली में करीब 40-50 लाख लोग अनाधिकृत कॉलोनियों में रहते हैं, जिसका मतलब है कि 8-10 लाख परिवार मालिकाना हक के पात्र हो सकते हैं. उन्होंने कहा, अब तक केवल 4 लाख पंजीकरण हुए हैं और केवल 20,881 मामलों में कन्वेयंस डीड जारी किए गए हैं.

 उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान दिल्ली-2041 का मसौदा अंतिम चरण में है और इसमें अनाधिकृत कॉलोनियों, मलिन बस्तियों के लिए विकास मानदंडों की डिटेल रहेगी. मास्टर प्लान को दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा पारित किया गया था और इस साल अप्रैल में मंजूरी के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को भेजा गया था. First Updated : Wednesday, 20 December 2023