Explainer : रैट- होल माइनिंग क्या है? जिसकी मदद से सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने का प्रयास हो रहा है
What is rat-hole : यह शब्द "चूहे का बिल" जमीन में खोदे गए संकीर्ण गड्ढों को संदर्भित करता है. रैट होल खनन मेघालय में खान से कोयला निकालने के लिए प्रचलित संकीर्ण होल विधि है.
What is rat-hole : उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के सभी प्रयास विफल होने के बाद सेना और बचाव दल की टीम ने रैट माइनिंग रैट-होल खनन तकनीक का सहारा लिया, जिसके बाद इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया. लोगों का कहना था कि इसके चलते टनल की खुदाई में वक्त लग सकता है. लेकिन आज सेना टनल की खुदाई कर मजदूरों के बहुत करीब पहुंच गई है. सुरंग के अंदर पाइप डालने का काम पूरा हो चुका है और जल्द ही सभी मजदूरों को बचा लिया जाएगा. फिलहाल रैट होल खनन विधि क्या है? जिसके चलते 41 मजदूरों की जिंदगी को बचाने का काम किया जा रहा है इसके बारे में समझते हैं.
रैट होल खनन क्या है?
दूसरे प्रकार के रैट होल खनन को बॉक्स-कटिंग कहा जाता है, एक आयताकार होता है, जो 10 से 100 वर्गमीटर तक होता है, और उसके माध्यम से 100 से 400 फीट गहरा एक ऊर्ध्वाधर गड्ढा खोदा जाता है. एक बार कोयले की परत मिल जाने के बाद, चूहे के बिल के आकार की सुरंगें क्षैतिज रूप से खोदी जाती हैं, जिसके माध्यम से श्रमिक कोयला निकाल सकते हैं.
रैट होल खनन के जोखिम
रैट होल खनन अनियमित गतिविधि के दायरे में आता है. इसमें सुरक्षा उपायों की कमी है और पर्यावरण संबंधी चिंताएं देखने के लिए मिलती हैं. इसमें खनिकों के लिए वेंटिलेशन, संरचनात्मक समर्थन और सुरक्षा गियर जैसे कोई उचित सुरक्षा प्रावधान नहीं होते हैं. 2019 में मेघालय के पूर्वी जैंतिया हिल्स जिले में बाढ़ के कारण 'रैट होल' कोयला खदान के अंदर फंसे 15 खनिकों की कई दिनों तक फंसे रहने के बाद मौत हो गई थी.
एनजीटी ने रैट माइनिंग पर लगा दिया था बैन
2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा खनन की विधि पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. हालांकि, 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी प्रतिबंध को रद्द कर दिया और वैज्ञानिक खनन विधियों के माध्यम से मेघालय में कोयला खनन की अनुमति दी थी.
बचावकर्मियों ने रैट-होल खनन विधि क्यों चुनी?
बचाव अभियान में शामिल दो निजी कंपनियों द्वारा रैट होल खनन की तकनीक में विशेषज्ञ सात और पांच पुरुषों की दो टीमों को बुलाया गया था. खनिकों को कई टीमों में विभाजित किया गया है. उत्तराखंड सरकार के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने कहा कि साइट पर लाए गए लोग रैट होल खनिक नहीं थे बल्कि तकनीक में विशेषज्ञ हैं.