Romeo-Juliet Law: जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो उनके साथ कई तरह की परेशानियां सामने आने लगती हैं. इन्ही नौजवानों के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि ''18 साल की उम्र के किशोर, शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तौर कोई भी फैसला लेने के लिए सक्षम हो जाते हैं और यह भी समझ जाते हैं कि वह अपने शरीर के साथ क्या करना चाहते हैं.''
दरअसल, 18 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों के बीच सहमति से सेक्स को लेकर एक मामला सामने आया है. रोमियो-जूलियट कानून ऐसा कानून है जो किशोरों के आपसी सहमती से किए गए सेक्स को अपराध की केटेगरी से बाहर रखता है. इसी कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में रोमियो-जूलियट कानून को लेकर एक याचिका भी दायर की गई है.
क्या है याचिका में?
सुप्रीम कोर्ट में दर्ज की गई याचिका में कहा गया कि ''भारत में 18 साल से कम उम्र के लाखों लड़के लड़कियां ऐसे हैं जो आपसी सहमति से यौन संबंध बनाते हैं. लेकिन ऐसे मामले में माता पिता की शिकायत पर लड़के को वैधानिक रूप से गिरफ्तार कर लिया जाता है. अगर लड़की प्रेग्नेंट हो गई तो इसे बलात्कार मान लिया जाता है. जबकि इस मामले में लड़कों को हर बार दोषी ठहराना गलत है.''
इसके साथ ही याचिका में कहा गया कि 18 साल के उम्र के किशोर इतने समझदार हो जाते हैं कि वो अपने फैसले ले सकें, इसके साथ ही उनको ये भी पता होता है कि उनको अपने शरीर के साथ क्या करना चाहिए.
क्या है रोमियो-जूलियट एक्ट
भारत में अब जिस एक्ट की बात की जा रही है दरअसल वो कई देशों में पहले से कानून बना हुआ है. रोमियो-जूलियट कानून को आसान भाषा में समझाया जाए तो ये ऐसा कानून होगा जिसमें यौन संबंध बनाने में आपसी सहमती को यौन शोषण नहीं माना जाएगा. इसमें लड़का और लड़की के बीच ज़्यादा उम्र का गेप नहीं होना चाहिए.
असल में बहुत से ऐसे मामले सामने आते हैं जिनमें कम उम्र के लड़के-लड़की आपसी सहमती से जिस्मानी संबंध बनाते हैं लेकिन किसी भी तरह की परेशानी आती है जैसे लड़की प्रेग्नेंट हो जाती है तो उसमें लड़के को दोषी मान लिया जाता है. उसपर बलात्कार के भी चार्ज लग जाते हैं. इसी को देखते हुए इस याचिका को दाखिल किया गया है.
वर्तमान में क्या है कानून?
18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए जो वर्तमान में कानून बना है उस हिसाब से आपसी सहमति से का कोई मतलब नहीं बनता है. ऐसे में अगर किसी तरह का कोई मामला सामने आता है तो उसमें सहमती का होना भी महत्वहीन होगा.
First Updated : Monday, 21 August 2023